Home Home-Banner क्या है गणगौर, विवाहित और कुंवारी लड़कियां क्यूं करती है इनकी पूजा

क्या है गणगौर, विवाहित और कुंवारी लड़कियां क्यूं करती है इनकी पूजा

2921

Rajasthan: गणगौर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र का एक त्यौहार है जो चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं शिवजी (इसर जी( और पार्वती जी (गौरी जी) की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटें देते हुए ‘गोर गोर गोमती‘ गीत गाती हैं। इस दिन पूजन के दिन माटी की गौर बनाकर उस पर महावर, सिंदूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान है ।चंदन, अक्षत, धूपबत्ती नैवेद्य से पूजन करके भोग लगाया जाता है। गण( शिव) तथा गौर (पार्वती) के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर की कामना करती हैं। विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत करके अपने पति की दीर्घायु के कामना करती हैं।

होलिका दहन के दूसरे दिन कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक 18 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है -गणगौर। यह माना जाता है की माता गौरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और 18 दिन के बाद इसर (भगवान शिव )उन्हें घर लाने के लेने के लिए आते हैं। चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। गणगौर की पूजा में गाए जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा है। बड़े सवेरे ही गाती बजती महिलाएं होली की राख अपने घर लाती हैं ।मिट्टी गला कर उससे 16 पिंडिया बनाकर दीवार पर 16 बिंदिया  कुमकुम, मेहंदी और 16 बिंदिया काजल की काजल की लगती है ।यह तीनों ही सुहाग का प्रतीक है ।गणगौर पूजन में कन्याएं और महिलाएं अपने लिए अखंड सौभाग्य और पीहर और ससुराल की समृद्धि और गणगौर से प्रतिवर्ष फिर आने का आग्रह करती हैं। यह सिलसिला 18 दिन तक दो सप्ताह तक चलता है। प्रदेश गए हुए इस त्यौहार पर घर लौटते हैं और उनके घर वालों को भी उनकी बड़ी आतुरता से प्रतीक्षा रहती है।

लेखिका- रजनी गुप्ता

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here