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अगर तुम जीवन में सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो- अब्दुल कलाम

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apj abdul kalam

Abdul Kalam 15 oct: अगर तुम जीवन में सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो। जी हां आपने इस विचार के पैरोकार वक्ता के बारे में कभी ना कभी तो सुना ही होगा। हम बात कर रहे हैं भारत के महान वैज्ञानिक अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम आजाद की। बच्चों के लिए अंकल कलाम तो बड़ों के लिए कलाम साहब की। अपना पूरा जीवन राष्ट्र और इसके विकास को समर्पित करने वाले कलाम साहब को दुनिया मिसाइल मैन के नाम से भी बुलाती है। कलाम साहब की पूरी जिंदगी किसी उर्जा के समान है। अखबार बेचने से लेकर भारत के पहले नागरिक यानी कि राष्ट्रपति बनने का उनका सफर अपने आप में एक मार्गदर्शन से कम नहीं, जिसे अगर हम सही से अपनी जिंदगी में उतार लें तो फिर अपने सपनों को साकार करने से कोई नहीं रोक सकता।

देश के कल्याण केलिए डॉ कलाम ने जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। एक टीचर, वैज्ञानिक और भारत के राष्ट्रपति के रूप में एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पूरी की पूरी जिंदगी मेहनत और लोगों की सेवा में लगा दी थी। कलाम साहब भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के विचार आज भी करोड़ों हिन्दुस्तानियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।

तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में जन्में कलाम साहब का पूरा का पूरा जीवन संघर्षों से भरा पड़ा था। रामेश्वरम से शुरूआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद कलाम साहब ने खुली हुई आंखों से सपने देखने शुरू किए। कहते हैं जिन सपनों को खुली हुई आंखें देखती हैं वो फिर निंद को भी भूल जाती है और सारी रात उसे पूरा करने में लगा देती है। ऐसा ही कुछ हुआ कलाम साहब के साथ। खुले आसमान में उड़ती चिड़िया को देख डॉ कलाम ने भी विमान विज्ञान के क्षेत्र में जाने का मन बना लिया। चाहत तो उनकी पायलट बनने की थी, लेकिन ईश्वर ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।

1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अतरिक्ष विज्ञान में स्नातक करने के बाद  उनका चयन भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान के हावरक्राफ्ट परियोजना के लिए हो गया। यहां के बाद वह 1962 में इसरो यानी कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए, जिसमें कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रक्षेपण परियोजनाओ में अपनी भागीदारी निभाई। भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निदेशक के तौर पर भूमिका निभाने वाले कलाम साहब की महत्ता को कौन नहीं जानता । यही रॉकेट या प्रक्षेपण यान की मदद से भारत ने रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था। इसके बाद एक से बढ़कर एक मिसाइल की सफलता और इसमें कलाम साहब की महती भूमिका ने उन्हें भारत का मिसाइल मैन बना दिया।

1992 में भारतीय रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार बने एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने वैश्विक स्तर पर भारत के हाथ मजबूत करते हुए और विश्व शांति के लिए आवश्यक वैज्ञानिक विकास को ध्यान में रखते हुए 1998 में पोखरण में भारत द्वारा किए गए दूसरे सफल परमाणु परीक्षण को पूरा कर पूरी दुनिया को महाशक्ति बनने का एहसास दिलाया।

18 जुलाई 2002 के देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद भी जिंदगी के प्रति उनकी सादगी में कोई कमी नहीं आई और ना ही कोई बदलाव देखा गया। जिसके कारण उनका जीवन जनता सुलभ हो गया और वें जनता के राष्ट्रपति की उपाधि से भी जाने जाने लगें। राष्ट्रपति भवन में भी उनका दैनिक जीवन इतना सादगी भरा होता कि जब इसकी खबर अखबारों में छपती तो जनता इसे खूब चाव से पढ़ती थी। वे आय दिन राष्ट्रपति भवन में कभी माली तो कभी रसोईये के साथ आम इंसान के रूप में दिख जाते थे। इस महान हस्ती ने साल 2007 तक राष्ट्रपति के पद की सोभा बढ़ाई। कलाम साहब को साल 1997 में भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है।

आइए आज आपको कलाम साहब के उन विचारों के बारे में भी बताते हैं जिससे लाखों ने अपनी जिंदगी संवार लीं। कलाम साहब कहते हैं-

1.कभी भी पहली सफलता के बाद आराम नहीं करना चाहिए। बल्कि आपको निरंतर प्रयास करना चाहिए ताकि जब आपको दूसरी सफलता मिले तो आप को यह लगे कि यह आपकी मेहनत का परिणाम है ना कि आपके भाग्य की।

2.अगर आप किसी भी प्रयास में FAIL हो जाते हैं तो आप अपनी कोशिश को कभी भी ना छोड़ें क्योंकि FAIL का मतलब होता है First Attempt In Learning।

3 यह संभव है कि हम सब के पास बराबर प्रतिभा नहीं हो लेकिन अपनी प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए हम सभी के पास बराबर का मौका होता है।

4.अगर एक देश को भ्रष्टाचार मुक्त होना है तो मैं यह महसूस करता हूं कि हमारे समाज में तीन ऐसे लोग हैं, जो ऐसा कर सकते हैं- माता, पिता और शिक्षक।

5.जब भारत विश्व की बराबरी में खड़ा नहीं होगा तो कोई इसका सम्मान नहीं करेगा। इस समूचे विश्व में डर की कोई जगह नहीं है। यहां केवल शक्ति ही शक्ति का सम्मान करती है।

ऐसे महान विचारों के प्रनेता, हम सब के मिसाइल मैन ने 27 जुलाई 2015 की शाम को अपनी आंखें मूंद ली। भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग के एक कार्यक्रम में लेक्चर देने के दैरान उन्हें दिल का दैरा पड़ा था। 84 साल की उम्र में कलाम साहब ने, हमें उनके अनमोल विचारों को सौंप कर, हमेशा के लिए अलविदा कर दिया।

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