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जी टी रोड का क्या संबंध है महाभारत काल से

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GT ROAD: आपने बचपन में एक ना एक बार जरूर पढ़ा होगा कि भारत की सबसे लम्बी सड़क जीटी यानी की ग्रैंड टंक्र रोड है। और इस जीटी रोड को शेरशाह सूरी ने बनवाया था। लेकिन आपने गलत सुना है या पढ़ा है। जीटी रोड को शेरशाह सूरी ने नहीं बनवाया था। बल्कि शेरशाह सूरी ने इसकी मरम्मत कराई थी। जी हां जीटी रोड का संबंध भारत की ऐतिहासिक संस्कृति से रहा है। अगर मैं बोलूं की भारत में महाभारत काल में जो उत्तरीपथ था। समय के साथ उसी का नाम जीटी रोड पड़ गया तो क्या आप मानेंगे।

जी हां महाभारत काल का यह उत्तरीपथ सड़क पुरूषपुर (पेशावर), तक्षशिला ( रावलपिंडी के आसपास), हस्तिनापुर (मेरठ का आसपास का इलाका), कान्यकुब्ज (कन्नौज), प्रयागराज होते हुए पाटलिपुत्र यानी कि आज का पटना से ताम्रलिप्ता ( कोलकाता के पास ) के शहर तक जाती थी। तब के समय में इसे उत्तरीपथ कह कर पुकारा जाता था। इसके साथ भारतवर्ष में दक्षिणी पथ का निर्माण भी करवाया गया था जो शायद कंबोज यानी कि कंबोडिया तक गया था।

महाभारत काल के बाद उत्तरीपथ यानी कि आधुनिक समय के जीटी रोड का पुनर्नर्माण मौर्य साम्राज्य के चंद्रगुप्त मौर्य ने 329 ई.पूर्व से 279 ई.पूर्व के अपने शासनकाल में करवाया था। इस सड़क का उल्लेख चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहने वाले यूनान के राजदूत मेगास्थनीज ने भी अपनी पुस्तक इण्डिका में किया है। कहते हैं चंद्रगुप्त ने इस सड़क की देखभाल व सुरक्षा के लिए सेना की एक विशेष टुकड़ी को तैनात कर रखा था। इस सड़क के उत्तम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए इसके दोनों किनारों पर पेड़ लगवाए गए थे और साथ ही साथ राहगीरों के लिए कुंए भी खुदवाए गए थे।

चंद्रगुप्त मौर्य के बाद भारत के महान शासक अशोक ने अपने शासन अवधि यानी कि 268 ई.पूर्व से 232 ई.पूर्व  के बीच इस सड़क के सौन्दर्यीकरण के लिए एक अच्छी खासी व्यवस्था कर रखी थी। अशोक के बाद राजा कनिष्क ने भी इसकी ओर बेहतर ध्यान दिया। मौर्य साम्राज्य के समय विश्व के कई सारे देश इसी उत्तरापथ से होकर व्यापार किया करते थे।

समय का पहिया घूम गया और भारत में मुगल शासन में बाबर के बाद उसके पुत्र हुमायूं को हरा कर बिहार के अफगानी शासक शेरशाह सूरी ने दिल्ली पर शासन किया। जी हां अब बारी आती है एक दिलेर, बहादुर और एक उम्दा शासक की जो कि देश के विकास के लिए व्यापार की अहमियत को बकायदा समझता था और उसने इसके लिए काफी रकम भी खर्च की थी। व्यापार को बेहतर स्थिति देने के लिए सड़कों का बेहतर होना एक अनिवार्य तथ्य है। खास करको वह सड़क जो देश के व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय मार्ग से जोड़ता हो। इसलिए तो शेरशाह सूरी ने गैंड ट्रंक रोड की मरम्मत कराई थी। इतना ही नहीं शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में इस जीटी रोड को अन्य मार्गों से भी जोड़ने का काम किया था।

हां शेरशाह सूरी के बाद अंग्रेजों ने इस सड़क का नाम जीटी रोड कर दिया था। जो कि दिल्ली से होकर कानपुर होते हुए कोलकाता तक जाती है। इसे आज के समय में राजमार्ग संख्या 2 के नाम भी जाना जाता है। आगे यह राजमार्ग 1 होते हुए अमृतसर तक जाती है। और उसके आगे पाकिस्तान के पेशावर तक। दो सदियों से अधिक काल के लिए इस मार्ग ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्व तथा पश्चिम के भागों को जोड़ रखा था। इसलिए तो पुराने समय में इसे शाह राह-ए-आजम और बादशाही सड़क कहा करते थे।

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