RANN OF KUTCH: सफेद चादर सी बिछी नमकीन रेत पर चांद की रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद निश्चित ही इंसान के लिए एक अविस्मरणीय क्षणों में से एक हो सकता है। वैसे तो यहां हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी इसका लुत्फ लेने आते हैं लेकिन इस स्थान के लिए आयोजित विशेष उत्सव में सब लोगों की भागीदारी ने आज इसे पूरी दुनिया में एक अलग मुकाम दिया है।
जी हां हम बात कर रहे हैं गुजारत में स्थित कच्छ के रण की। नमक की बहुलता वाला यह क्षेत्र रात की चांदनी में सफेद रेगिस्तान में बदला बदला प्रतीत होता है। यहां पर आयोजित महोत्सव में आप यहां के कल्चरल प्रोग्रामों का मजा ले सकते हैं। लेकिन हां धरती की इस अनुपम दृश्य को आप तभी अपनी आंखों में चिर काल के लिए संजो सकते है जब आप अपने व्यस्त समय में से कुछ फुर्सत के पल निकालकर यहां आएंगे। यहां से आप पाकिस्तान के सिंध वाले इलाके को भी देख सकते हैं। आपको कच्छ के रण के बारे में एक रोचक बात बताऊं। यह एक और कारण से काफी मशहूर है और वो है स्वामी विवेकानंद के कारण। कहते हैं वर्ल्ड फेमस शिकागो सम्मेलन, जिसमें स्वामी जी के द्वारा दिया गया भाषण में मेरे भाई और बहनों के उदबोधन को आज भी पूरा जगत याद करता है, के लिए जाने से पहले स्वामी विवेकानंद यहां आए थे।
कच्छ में लगने वाला कार्निवल अक्तूबर के महीने से लेकर फरवरी तक मनाया जाता है। इस त्यौहार में आप इसके लोक नृत्य, लोक संगीत, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों के साथ साथ ऊंट की सवारी का आनंद ले सकते हैं। क्या आपको पता है कच्छ के रण में जंगली गधा या कच्छ वाइल्ड ऐस की सबसे बड़ी आबादी भी रहती है। यह सफेद रेगिस्तान लगभग 30 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला है। कच्छ का रण घूमने के लिए सीजन की शुरुआत अक्तूबर से ही हो जाती है। जो कि मार्च तक चलता है। हालांकि कच्छ का रण के सफेद संगमरमरी मैदान शुरू में ऐसे नहीं होते । दिसंबर माह आते आते यहां की मिट्टी सूखने लगती है, जिसके बाद शुरु होता है इसके सफेद संगमरमरी मैदान का बनना। जो कि आपको एक सफेद रेगिस्तान जैसा दिखता है। यह भारत का एक प्राकृतिक अजूब है जसके मनोरम सफेदी का आनंद लेना अपने में एक ख्वाब को पूरा करने जैसा है।
यहां पर आकर आप भुज के पास के हमीरसर लेक के किनारों की भी सैर कर सकते हैं। धौलावीरा, हड़प्पन सभ्यता को भी आप यहां आकर समझ सकते हैं। यहां के धार्मिक स्थलों में भगवान शिव को समर्पित नारायण सरोवर, कोटेश्वर मंदिर, लखपत किला के साथ साथ माता नौ मांध और थान मोनेस्ट्री का भी आनंद ले सकते हैं। यहां पर आपको एक और अजीब लेकिन कौतूहल से भरी चीज देखने को मिल जाएगी, उनमें से एक है पहाड़ी पर स्थित दत्तात्रेय मंदिर के सायंकाल की आरती के बाद वहां के पुजारी की एक आवाज पर सैकड़ो की तादाद में सियारों का दौड़ कर आना।