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रामलला के श्याम वर्ण का कारण, श्याम शिला की कहानी

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Reason behind ramlala black look: अयोध्या जन्मभूमि में रामलला का जो आप विग्रह देख रहे हैं, वह श्याम शिला से बना है। रामलला का यह विग्रह, उनके बाल स्वरूप में विराजमान किया गया है, जिसे देश के जाने माने शिल्प कलाकार अरूण योगीराज ने बनाया है। बाल स्वरूप में एक अद्भुत मुस्कान के साथ विराजमान रामलला का रंग आपको काला अथवा श्यामल लग रहा होगा और आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यूं किया गया। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं, इसके पीछे के कारण को।

जैसा कि आपको बताया जा चुका है कि रामलला के इस विग्रह का निर्माण कर्नाटक के श्याम शिला के पत्थर से किया गया है। शास्त्रों में इसे कृष्ण शिला भी कहा जाता है। जिस वजह से ही राम लला का यह विग्रह श्यामल वर्ण का है। कहते हैं इस शिला से बने विग्रह पर जब दूध से अभिषेक किया जाता है तो इसके गुण में कोई बदलाव नहीं होता और स्वास्थ्य पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं होता। यह हजारों सालों तक ऐसे ही बना रह सकता है। भगवान विष्णु से जुड़े एक और शिले के बारे में जानें। नेपाल से लाए गए इस शिला की भी खूब जोर-शोर से चर्चा थी।

क्या है यह शालिग्राम-

गंडकी नदी या यूं कहें नारायणी नदी के तल में मिलने वाली गोलाकार, शिला को शालिग्राम कहते हैं। यह आमतौर पर काले रंग या गहरे भूरे रंग की होती है। कहते हैं शालिग्राम के शिला के स्पर्शमात्र से करोड़ों जन्मों के पाप धुल जाते हैं। शास्त्रों में, इसे स्वयं नारायण का रूप बताया गया है। इसके पूजन से भगवत प्राप्ति होती है।

कौन सा शालिग्राम अच्छा होता है-

सबसे पहले शालिग्राम की शिला का परीक्षण करना चाहिए, यदि वह काली और चिकनी है तो बेहद उत्तम। यदि उसकी कालिमा कुछ कम हो तो वह मध्यम श्रेणी अथवा दूसरे किसी रंग का होने पर निम्नतम फल देने वाला बताया गया है। वेद-पुराणों के अनुसार, जैसे लकड़ी के अंदर अग्नि छिपी होती है और उसके मंथन पर वह प्रकट होती है, उसी प्रकार शालिग्राम में भगवान विष्णु साक्षात निहित हैं। यदि शालिग्राम-शिला द्वार-स्थान पर परस्पर सटे हों और उस पर दो चक्र के निशान अंकित हों, तो इसे भगवान श्री नारायण चक्रधारी का स्वरूप समझना चाहिए।

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