विचारों का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। व्यक्ति का व्यक्तित्व भी उसके विचारों से ही बनता है। जिस व्यक्ति के जैसे विचार होते हैं वैसा ही वह होता है। विचार अनेक प्रकार के होते हैं और उनका चयन ही हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करता है।
सकारात्मक विचार हमें आशावादी बनाते हैं जबकि नकारात्मक विचार हमें निराशावादी बनाकर हमारी ऊर्जा को व्यर्थ के चिंतन में लगाकर उसका क्षय कर देते हैं। व्यक्ति सत्य के संग से, अच्छी पुस्तकों से उच्च विचार ग्रहण करता है और उच्च विचार उसे हमेशा ऊर्जावान बनाए रखते हैं। उन्नत विचारों से व्यक्ति इतना ऊंचा उठ सकता है कि आकाश की ऊंचाइयां कम पड़ सकती हैं और निम्न विचार उसे इतना नीचे ले जा सकते हैं कि पाताल की गहराई भी कम पड़ जाए। इसलिए हमें हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से स्वयं को भरने के लिए सकारात्मक विचारों से जुड़ना चाहिए और इसके लिए पुस्तकों के चयन पर और संगति पर विषय ध्यान देना चाहिए।
• बर्नार्ड शाह ने कहा था कि पढ़ना सबको आ गया पर यह नहीं पता कि क्या पढ़ना है लोग कुछ भी उठा कर पढ़ लेते हैं। जैसे स्वस्थ शरीर के लिए हमारा पौष्टिक आहार लेना बहुत आवश्यक है, ऐसे ही मस्तिष्क को सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए हमें मस्तिष्क के भोजन का भी उतना ही सावधानी से चयन करना चाहिए । इसके लिए अच्छी पुस्तकों का, शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। जैसे जब हम पार्क में जाते हैं तो वहां से सुंदर-सुंदर पुष्प लाकर अपने घर के फूलदान में सजाते हैं ।ऐसे ही विभिन्न पुस्तकों से,सत्पुरुषों से हमें अच्छे-अच्छे विचार पुष्प लेकर हमें अपने मन को सजाना चाहिए ताकि उससे हम अपने मन को महका सके और हमारी यह महक दूसरों तक भी पहुंच कर उन्हें भी लाभान्वित कर सके।
विचार व्यक्ति को इतनी ऊर्जा देते हैं कि जब एक बार विवेकानंद जी जंगल से इसमें से जा रहे थे तो लाल मुंह वाले बंदर उनके पीछे पड़ गए वह डरकर भागने लगे तो किसी ने कहा कि डरो मत रुको, जैसे ही वह रुक बंदर रुक गए ,जैसे भी सामने मुंह कर कर खड़े हुए तो बंदर पीछे हटने लगे और जैसे उन्होंने पत्थर उठाया उनको मारने के लिए तो बंदर दौड़कर पेड़ पर चढ़ गए। आशावादी विचारों से व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है। सकारात्मक विचार ही हमें प्रत्येक समस्या का समाधान करने की शक्ति देते हैं। उत्तम विचारों से ही मनुष्य को बल मिलता है। व्यक्ति के विचार ही उसके व्यक्तित्व की पहचान है मनुष्य कैसा है या उसके विचारों से जाना जा सकता है । व्यक्ति की खूबसूरती उसके विचारों से होती है विचारों का इतना अधिक प्रभाव होता है कि हम जैसा सोचते हैं वैसा होना शुरू हो जाते हैं।
अपने विचारों को सशक्त बनाने के लिए हमें अपने मन को सशक्त बनाना पड़ेगा और इसके लिए हमें योग प्राणायाम और मेडिटेशन का सहारा लेना चाहिए। हमें विचारों के चयन पर अत्यधिक ध्यान देना की आवश्यकता है। जहां से भी अच्छे विचार मिले उनको हमें ग्रहण करना चाहिए। विचारों में नकारात्मकता नहीं होनी चाहिए। यह कोशिश हमें लगातार करते रहना चाहिए। प्रत्येक दिन में हमने यदि सौ विचारों में से साठ विचारों को भी सकारात्मक कर लिया तो हम एक सफल व्यक्ति हैं। महान पुरुष इसलिए महान होते हैं कि उनको अपने विचारों और विचारों और वाणी पर नियंत्रण होता है ओर यह नियंत्रण ही उन्हें महान बनाता है। सकारात्मक विचारों से हम एक अद्भुत शक्ति मिलती है जो हमारे जीवन को एक नई ऊर्जा से भर देती है। कुरुक्षेत्र के मैदान में जब अर्जुन निराश हो गया था और अपने कर्तव्य कर्म से (युद्ध क्षेत्र )भागने की बात कर रहा था तो भगवान कृष्ण ने उसे गीता को उपदेश दिया और उनके विचारों से प्रेरित होकर वह अपना कर्तव्य कर्म (युद्धकरने) को उद्यत हुआ। युद्ध बाह्य ही नहीं होता आंतरिक भी होता है। यदि कोई आंतरिक युद्ध में निष्णात होने की कला सीखना चाहता है तो उसे स्वयं को सकारात्मक और आशावादी विचारों से भरना होगा जो हमें संतवाणी अच्छे पुस्तकों से आशावान व्यक्तियों के सानिध्य से मिलेगा और तभी हम एक आनंद में जीवन के अधिकारी बन सकेंगे।
लेखिका- रजनी गुप्ता
(यह लेखिका के निजी विचार हैं। द हिन्दी सम्मानित लेखकों को एक मंच प्रदान करता है।)
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