samudrayaan mission: चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद अब भारत गहरे समुद्र के अध्ययन करने की योजना बनाने लग गया है। केंद्रीय विज्ञान मंत्री किरन रिजिजू का कहना है,” भारत को 2025 के अंत तक अपने समुद्रयान में सतह के नीचे 6000 मीटर गहरे समुद्र के अध्ययन करने के लिए अपने वैज्ञानिकों को भेजने में सक्षम होना चाहिए।” पीटीआई के इंटरव्यू में किरन रिजिजू यह भी बताते हैं कि इस साल के अंत तक इसकी टेस्टिंग भी पूरी हो जाएगी।
मत्स्य 6000 मशीन मनुष्यों को अंदर ले जाएगी
किरन रिजिजू ने आगे कहा है,” जब आप समुद्रयान की बात करते हैं, तब आप समुद्र के अंदर 6000 मीटर की गहराई तक जाने के हमारे मिशन के बारे में बात कर रहे हैं । मैं कह सकता हूं कि जहां तक हमारे मत्स्य (Matsya6000) का सवाल है, यह मशीन मनुष्यों को गहरे सागर के अंदर तक ले जाएगी।” मंत्री आगे सूचित करते हुए कहते हैं कि उन्होंने परियोजना की समीक्षा की है और वैज्ञानिकों को इस साल के अंत तक पहला उथले पानी का परीक्षण करने में सक्षम होना चाहिए।
समुद्रयान का पूरा प्लान
सूचनाओं के अनुसार केंद्रीय पृथ्वी एवं विज्ञान मंत्री ने कहा है कि मोटे तौर पर मुझे विश्वास है कि 2025 के अंत तक हमें अपने मानव चालक दल को 6,000 मीटर से अधिक गहरे समुद्र में भेजने में सक्षम होना चाहिए। समुद्रयान की शुरुआत 2021 में हुई थी। मिशन में मत्स्य 6000 का उपयोग करके मध्य हिंद महासागर में समुद्र तल तक 6,000 मीटर की गहराई तक पहुंचने के लिए एक चालक दल का अभियान शुरू किया है, जिसे तीन सदस्यों के चालक दल को समायोजित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
अमेरिका,रूस और चीन के बाद अब भारत की बारी
अब तक, अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने ही गहरे समुद्र में सफल मिशनों को अंजाम दिया है। अब भारत इस तरह के मिशनों के लिए विशेषज्ञता और क्षमता का प्रदर्शन करके इन देशों के रैंक में शामिल होने की तैयारी में है। आपको बता दें कि पनडुब्बी वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के एक समूह से त्यार होगी। साथ ही इसमें 12 घंटे की परिचालन क्षमता भी होगी। इसे आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है।