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एक श्राप के चलते यहां के लोगों ने कई सौ सालों से होली नहीं मनाई

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भारत में हर त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है| अभी होली भी आने वाली है| जिसकी खुशी हर किसी को महीने भर पहले से ही होती है| इस दिन हर किसी को नई पिचकारी  खरीदने का और रंगो के साथ  खेलने का बहुत शोक होता है| हर गली चौराहे पर आपको लोग एक दूसरे को गुब्बारे मारते हुए दिख जाएंगे  साथ ही ‘बुरा ना मानों होली है’ की गूंज सुनाई देगी| इस दिन लोग टोलियां बनाकर सड़कों पर एक दूसरे को रंग लगाते हैं| इतना ही नहीं ढोल की धुनों पर थिरकते हुए होली का जश्न मनाते हैं। आपको बता दें कि हमारे देश के कुछ राज्य और शहर ऐसे हैं जहां सालो से ही होली का त्योहार मनाया ही नहीं गया है|  चलिए अब आपको इन गांव के बारे में बता दें| इन गांव में नहीं मनाई जाती है होली-

 

कसमार गांव, झारखंड

यह गांव झारखंड के बेरमो उपखंड के कसमार सीडी ब्लॉक में है| यहां के लोगों ने एक दो सालों से नहीं बल्कि कई वर्षों से होली नहीं मनाई है| गांव वालों की मान्यता है कि यहां के राजा की बेटी की मृत्यु होली वाले दिन हुई थी। जिसके कुछ समय बाद राजा की भी मृत्यु हो गई। मृत्यु से पहले राजा ने लोगों से कहा था कि यहां कोई होली नहीं मनाएगा, तब से यहां के लोग होली नहीं मनाते हैं|

उत्तराखंड का कुरझन, क्विली और जौदला गांव

उत्तराखंड के इन गांवों में तीन सौ सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है| इसके पीछे की वजह बहुत ही अजीब है| गांव वालो के अनुसार इन तीनों गांव की कुलदेवी माँ त्रिपुरा हैं।कहते हैं कि त्रिपुरा देवी को शोर नहीं पसंद इसलिए इन तीनों गांव में होली नहीं मनाते हैं|

रामसन गांव, गुजरात

यह गांव गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित है| यहां के गांव वालों का कहना है कि इस गांव को संतों का श्राप मिला हुआ है जिसके चलते गांव वालों ने  यहां 200 सालों से होली नहीं मनाई है| इतना ही नहीं यहां के लोग चाह कर भी होली नहीं मना सकते हैं|

तमिलनाडु, दक्षिण भारत

तमिलनाडु में होली नहीं खेली जाती है| कहा जाता है कि होली के दिन यहां के लोग होली की जगह वहाँ का स्थानीय पर्व मासी मागम मनाते हैं।जो होली के त्यौहार से बिलकुल अलग है|

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