टीम द हिन्दी
पुरुषों के साथ महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है कबड्डी में
कबड्डी यानी वह खेल, जो गांव के अखाड़ों से होकर अब पूरी दुनिया में छा गया है. कबड्डी का नाम सुनते ही हम सब...
कितने उपयोगी हैं मिट्टी के बर्तन ?
तपती धूप में झुलसने के बाद जब सूखी मिट्टी पर बारिश की बूंदे गिरती हैं, तो उसकी सौंधी खुशबू से धरती महक उठती है....
फ़िजी : यहाँ लोगों के दिलों में बसता है भारत
जब भी हम दूसरे देश में अपने देश की भाषा सुनते हैं, तो दिल को सुकून मिलता है. सुकून इसलिए क्योंकि पराए देश में...
नए मानक गढ़ती हिंदी
किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा और संस्कृति से होती है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया...
जब सफलता की गारंटी बन गया था नौशाद साहब का नाम
‘मन तड़पत हरी दर्शन को आज’, ‘नन्हा मुन्हा राही हूँ’, ‘यह गोटेदार लहंगा निकलू जब डाल के’, जैसे गाने आज कहाँ बनते हैं? आज...
पत्रकारिता को मजबूती प्रदान कर रही है हमारी हिंदी
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. लोकतंत्र तभी मजबूत होगा, जब पत्रकारिता अपनी सार्थक भूमिका निभाए. सार्थक पत्रकारिता का उदेश्य है...
हिंदी सिनेमा के एक्टर्स: खाते देशी, बातें विदेशी
भारत में वैसे तो बहुत सी भाषाओँ में फ़िल्में बनती है, और उसका अपना एक दर्शक वर्ग भी है. लेकिन इन सभी फिल्मों के...
पुरानी यादें ताजा करता ‘हवा महल’
हवा महल का नाम सुनते ही हम जयपुर वाला हवा महल के बारे में सोचने लगते हैं. यहां हम गुलाबी नगरी जयपुर वाले हवा...
फणीश्वर नाथ ‘ रेणु ‘ : मानवीय संवेदनाओं को उकेरता एक...
मानवीय दृष्टि से संपन्न एक कथाकार ने बिहार के एक छोटे से भूखंड की हथेली पर किसानों की नियति को अपने कहानियों के माध्यम...
कृषि और संस्कृति के मेल का केंद्र है हाट बाजार
गाँव में लगने वाले स्थानीय बाजार को हाट कहते हैं, जहाँ गाँव के लोगों की सामान्य जरूरतों को पूरा किया जाता है. सदियों से...