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विकास को समाज के आखिरी छोर तक पहुंचाने वाले चिंतक पंडित दीनदयाल जयंती विशेष..

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नईदिल्ली। गरीबों और दलितों के मसीहा और राष्ट्रवादी नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की आज 25 सितम्बर के दिन पूरे भारत में जयंती मनाई जाती है। अंत्योदय के जनक, सामाजिक समरसता के मसीहा, की जयंती के अवसर पर दिल्ली में आज उनकी 72 फीट ऊंची कांसे की मूर्ति का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनावरण करेंगे। ये मूर्ति दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय पार्क में बनी है।

pandit deendayal

अंत्योदय का अर्थ होता है कि हम समाज में सबसे आखिरी व्यक्ति के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करें। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पहचान अंत्योदय के जनक के रूप में सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है। उन्होंने गरीब, दलित और विकास से वंचित लोगों के जीवन स्तर को सुधारने, समाज से छुआ-छूत मिटाने की दिशा में जो बेजोड़ काम किया है। पंडित दीनदयाल कहते थे कि कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर विकास नहीं कर सकता। हमें भारतीय राष्ट्रवाद, हिंदू राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति को समझना होगा। पंडित जी की 98वीं जयंती के अवसर पर 2014 से अंत्योदय दिवस मनाया जाता है।

बताते चलें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितंबर 1916 को यूपी के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। उनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर थे। दीनदयाल के बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था।1937 में पंडित जी जब कानपुर से बीए कर रहे थे, तब अपने साथ पढ़ने वाले बालूजी महाशब्दे के कहने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। इसके बाद उन्हें संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार का संरक्षण मिला। पढ़ाई के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और आजीवन संघ के प्रचारक के रूप में जीवन गुजारा। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। दिसंबर 1967 में उन्होंने जनसंघ के अध्यक्ष की भूमिका भी निभाई। पंडित जी संघ के प्रचारक के तौर पर जनसंघ के 1952 के कानपुर में हुए पहले अधिवेशन में महामंत्री के तौर पर भी कार्य किया। अधिवेशन में पारित कुल 15 प्रस्तावों में 7 को पंडित जी ने ही प्रस्तुत किया था। इसी दौरान डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि अगर मुझे एक साथ 2 दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल के रख दूंगा। 10-11 फरवरी 1968 की रात मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद पूरा देश शोक की लहर में डूब गया था।

पंडित जी ने देश में अंत्योदय की उपेक्षा ना कर उसके ऊपर विकास का ध्यान केंद्रित कर देश को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाने की बात की जिससे भारत की विविध संस्कृति और समाज में कोई भी विकास से अछूता ना रहे। भारत ने भी भारतीय समाज के इस महान विचारक और अंत्योदय विचार के जनक को अपनी श्रद्धांजली देते हुए मानव वाद के दर्शन को मान्य करने के लिए 1972 में पंडित दीन दयाल अनुसंधान संस्थान की स्थापना की थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सम्मान में दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, ग्राम ज्योति योजना और दीन दयाल अंत्योदय उपचार योजना जैसे कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। दीन दयाल के नाम पर एक इन्डोर स्टेडियम, पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी, अस्पताल और पुरातत्व संस्थान भी खोले गए हैं।

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