राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कंस्टीट्यूटन क्लब में 11वां चमनलाल जी स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश के जाने माने सामाजिक चिंतक श्री एस गुरूमूर्ति, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य श्री मनोहर शिंदे, डॉ शशि बाला जी, कार्यक्रम संयोजक प्रो. अमरजीव जी, ए म दिवाकर जी, रवि शंकर जी समेत कई अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन तथा चमनलाल जी की फोटो पर पुष्प अर्पित कर की गई। आपको बता दें कि चमनलाल जी स्मृति व्याख्यान को प्रत्येक दो वर्षों पर किया जाता रहा है। इस बार यानी कि 11वां चमनलाल जी स्मृति व्याख्यान का थीम “सभ्यतागत चेतना का विकास और भारतीय राष्ट्रीयता” था। इस कार्यक्रम को इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्ट्डीज के तत्वाधान में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में संभाषण के दौरान देश के प्रतिष्ठित सामाजिक चिंतक श्री एस गुरूमूर्ती जी ने शिक्षा के जगत में चमनलाल जी के योगदान को याद किया और साथ ही भारतीयता से जुड़ी कई विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार भी रखें। गुरूमूर्ती जी ने कहा कि हमें भारत के बारे में दूसरे को बताने के लिए यह आवश्यक है कि हम पहले अपने भारत को जानें। अगर हम स्वयं ही भारत को नहीं जानेंगे तो दूसरे को कैसे अपने देश के बारे में बता पाएंगे। उन्होंने भारत और इसकी स्थिति से जुड़े कई अहम मुद्दों पर खुल कर बात की। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और पोखरण में परमाणु विस्फोट से जुड़ी कई अनसुने मुद्दों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि कैसे अटल जी के विचारों की मजबूती ही थी कि पोखरण के बाद अमेरिका की आर्थिक नाकेबंदी भी भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाई और उसे भारत की इस नई ताकत को अपनाना पड़ा।
कार्यक्रम में श्री मनोहर शिंदे जी ने भी चमनलाल जी व्यक्तित्व पर भी बहुत सारी बाते कीं। उन्होंने बताया कि कैसे चमनलाल जी ने अपनी सादगी का परिचय देते हुए अपने पास आने वाले आगंतुकों के जलपान की व्यवस्था किया करते थे और बाद में बताते थे कि वहीं चमनलाल हैं। उन्होंने चमनलाल जी से जुड़ी कई अनोखी बाते भी बताई साथ सभी से अपील भी किया कि हमें इस तरह के संवाद का हिस्सा बनना चाहिए ताकि हमें अपने बीच के महान व्यक्तित्वों के बारे में जानने को मिलता रहे।