Guru: गुरु कौन है? गु का मतलब है अंधकार और रु का मतलब है दूर करना। गुरु वह जो हमारे मन के अंधकार को दूर करें। हमारे मन में अनेक प्रकार के विचार चलते रहते हैं, उनमें से कुछ सकारात्मक होते हैं कुछ नकारात्मक। गुरु हमें वह दिशा देता है जिससे हम नकारात्मक विचारों का सकारात्मक बना सके ।यह गुरु का सतत प्रयास रहता है ।गुरु शिष्य के मन पर काम करता है ।उसका यह सतत प्रयास रहता है कि शिष्य का मन संतुलित है। वह शिष्य के जीवन में मार्गदर्शन करता है। उसे ज्ञान ,आध्यात्मिक उत्थान, सत्य के लिए प्रेरित करता है। गुरु शिष्य के जीवन को दिशा देकर नया जीवन प्रदान करता है ।गुरु शिष्य के आध्यात्मिक विकास में मदद करता है। गुरु स्वयं में एक तीर्थ है ।गुरु संसार की मोहनिशा में सोए हुए जीव को जगा कर जीवन को नया आयाम नयाअर्थ ,नई दिशा देता है। व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता को कहा जाता है ।दूसरा गुरु शिक्षक होता है। जो हम अक्षर ज्ञान करवाता है ।भारतीय परंपरा में गुरु एक शिक्षक से अधिक होता है। आध्यात्मिक गुरु व्यक्ति के जीवन में मूल्यों को ढालने में सहायक होता है।कई लालची गुरुओं ने इस महानतम गुरु की पदवी को बदनाम कर रखा है।अब प्रश्न उठता है कि सच्चे गुरु की पहचान कैसे हो? सच्चा गुरु वेदों, पुराणों का ज्ञाता होता है। कबीर जी ने सच्चे गुरु के लक्षण बताएं हैं।
सच्चे गुरु की चार लक्षण है वह सब वेद शास्त्र को ठीक से जानता है दूसरे में भक्ति मन कर्म वचन से करता है तीसरा लक्षण है कि सब अनुयायियों से समान व्यवहार करता है भेदभाव नहीं रखता । चौथा लक्षण सब भक्ति कर्म वेदों के अनुसार करवाता है। तथा अपने द्वारा करवाए गए भक्ति कर्मों को वेदों से प्रमाणित भी करता है । जिसमें संत्तव है वही संत है।
ईश्वर ने अपनी बातों को लोगों तक समझने के लिए उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए ,व्यक्ति का विकास कैसे हो उसके चिंतन, शरीर, धन, ज्ञान का विकास कैसे हो उसके लिए एक प्रतिनिधि परंपरा का प्रारंभ किया यह संत परंपरा ही गुरु है।
सच्चे गुरु की चार लक्षण है वह सब वेद शास्त्र को ठीक से जानता है दूसरे में भक्ति मन कर्म वचन से करता है तीसरा लक्षण है कि सब अनुयायियों से समान व्यवहार करता है भेदभाव नहीं रखता । चौथा लक्षण सब भक्ति कर्म वेदों के अनुसार करवाता है। तथा अपने द्वारा करवाए गए भक्ति कर्मों को वेदों से प्रमाणित भी करता है । जिसमें संत्तव है वही संत है।
ईश्वर ने अपनी बातों को लोगों तक समझने के लिए उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए ,व्यक्ति का विकास कैसे हो उसके चिंतन, शरीर, धन, ज्ञान का विकास कैसे हो उसके लिए एक प्रतिनिधि परंपरा का प्रारंभ किया यह संत परंपरा ही गुरु है।
लेखिका- रजनी गुप्ता
और पढ़ें-
|