Difference between Gujia and Gujhiya: भारत में तयोहार और पकवान का आपस में एक अभिन्न नाता रहा है। यह हमेशा से ही एक दूसरे का पर्याय रहे हैं। भारत में ऐसा कोई त्योहार नहीं है, जिसमें पकवान नहीं बनाए जाते हैं| इनमें से ही एक है होली का त्योहार, जो कि मीठे के शौकीनों का पसंदीदा त्योहार है| होली के मौके पर बनाए जाने वाली गुजिया लोगों के घरों में हफ्तेभर पहले से ही बननी शुरू हो जाती है| इस दिन लोग अपने पड़ोसियों को गुजिया खिलाते हैं| साथ ही सारे गिले शिकवे भुला कर एक दूसरे को गले लगातें हैं| आपको बता दें कि गुजिया का इतिहास 800 साल पुराना बताया जाता है| कहा जाता है कि गुजिया का जिक्र सबसे पहले 13वीं शताब्दी में मिलता है| उस समय गुजिया को धूप में सुखाने के बाद खाया जाता था| माना जाता था कि यह कैलोरी कम करने का एक शानदार तरीका था| इस व्यंजन को बहुत से इतिहासकार तुर्की के बकलावा से भी जोड़ते हैं|
आपको बता दें कि आधुनिक गुजिया को सत्रहवीं सदी में पहली बार बनाया गया था। गुजिया के इतिहास में ये बात सामने आती है कि इसे सबसे पहली बार उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बनाया गया था| भारत में गुजिया बनाने का श्रेय भारतीय राजाओं के शाही रसोइयों या खानसामों को दिया जाता है माना जाता है कि वहीं से ये राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार और अन्य प्रदेशों में प्रचलित हुई थी| कई जगह इस बात का भी जिक्र मिलता है कि भारत में समोसे की शुरुआत के साथ साथ गुजिया भी भारत आई और यहां के ख़ास व्यंजनों का हिस्सा बन गई ।
गुजिया और गुझिया में अंतर
इस जवाब का उत्तर आप में से ज्यादातर लोग जानते ही होंगे पर बहुत ही मजे की बात यह है कि इन दोनों व्यंजनों में ज्यादा खास अंतर नहीं है| हम गुजिया की बात करें तो इसे मैदे के अंदर खोया भर कर बनाया जाता है वही गुझिया की बात करें तो इसमें मैदे की कोटिंग के ऊपर चीनी की चाशनी भी डाली जाती है। चीनी की चाशनी डालने से यह व्यंजन और भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाता है।
भारत के अलग अलग राज्यों में क्या नाम है इस व्यंजन का
गुजिया की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश में हुई थी| जिसके बाद इसको भारत के कई हिस्सों ने अपनाया था| हैरानी की बात यह है कि राजस्थान में कई लोग गुजिया के दो अलग-अलग वर्जन बनाते है पहला चंद्रकला और दूसरा सूर्यकला, लेकिन अजमेर में इसे पुहे के नाम से जाना जाता है जो कि सौंफ और गुलाब के स्वाद के साथ तली हुई पेस्ट्री में होता है| यह स्टफिंग के बिना गुजिया जैसी दिखती है| बात करें अवध की तो, यहाँ लोग दही, मेवे और इलायची से भरी गुजिया बनाते हैं| वही बुन्देलखण्ड में यह खोया और गुड़ की बनाई जाती है| बिहार में इसे पेड़किया के नाम से जाना जाता है तो गुजरात में घुघरा और महाराष्ट्र में यह करंजी के नाम से जानी जाती है|
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