Kharmas: कल यानी कि बृहस्पतिवार से सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। चौंकने की बात नहीं है। कल से सूर्य का राशि परिवर्तन हो रहा है। सूर्य अगले 13 अप्रैल तक मीन राशि तक रहेंगे। इसके कारण इन दिनों में हिन्दू रीति नीति के अनुसार ना तो कोई शुभ कार्य किया जाता है और ना ही कोई मांगलिक कार्य। इस दौरान पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व होता है।
ज्योतिषविदों की माने तो 14 मार्च को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट से सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। शास्त्रों के अनुसार इस समय में खरमास लग जाता है। इसके बाद सूर्य 13 अप्रैल को मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे और फिर से सभी शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। आपको बता दें कि हिंदू धर्म में खरमास के दौरान ना तो शादी-ब्याह होता है और ना ही कोई शुभ कार्य। मीन राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति होता है।
इस बार का खरमास है अपने में खास
ज्योतिषचार्यों के मुताबि, इस साल का खरमास अपने में काफी शुभ है। इस बार 17 मार्च से होलाष्टक लग जाएंगे। इस साल 25 मार्च को चंद्र ग्रहण, होली पर रहा है। नौ अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। यह सारे शुभ दिन खरमास के दौरान ही पड़ने वाले हैं। चूकि खरमास के दौरान पूजा-पाठ, दान आदि करने की बातें कही गई हैं। इसलिए इस बार के सारे पर्व अपने में विशेष महत्व रखते हैं।
खरमास में किसकी करनी चाहिए पूजा
हिंदू शास्त्रों में खरमास को पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ महीना बताया गया है। इस माह में भले ही शुभ कार्य करने की मनाही हो लेकिन पूजा-पाठ करने के बारे में विशेष तौर बताया गया है। कहा तो यह भी जाता है कि खरमास में सूर्य की पूजा, गौ आदि की सेवा, दान-पुण्य और मंत्र आदि के जाप से अन्य दिनों की तुलना में 10 गुणा ज्यादा फल मिलता है। खरमास के अधिष्ठाता देव स्वयं नारायण हैं इसलिए इस दौरान लोगों को रोजाना विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ आदि करने की सलाह दी जाती है। भगवान विष्णु की पूजा आदि से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।