Home Home-Banner नशीली दवाओं से भारतीय समाज को बचाने की मुहिम एनपीडीडीआर

नशीली दवाओं से भारतीय समाज को बचाने की मुहिम एनपीडीडीआर

3368

NAPDDRR

NAPDDR: नशीली दवाओं की मांग के खतरे को रोकने के लिए, भारत सरकार का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) लागू कर है । यह एक व्यापक स्तर की  योजना है। इसके तहत राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, कौशल विकास, पेशेवर प्रशिक्षण के लिए दी जाती ही। इसके तहत नशे के आदि लोगों की आजीविका के लिए काम किया जा रहा है। नशीली दावाओं की मांग में कमी के लिए इस तरह के  कार्यक्रम का संचालन किया जाता रहा है। इस कार्यक्रम के संचालन में गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जा रही है। इस तरह की सहायता ड्रॉप इन सेंटर और जिला नशा मुक्ति केंन्द्र पर प्रदान की जाती है।

इसके अलावा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों, स्कूलों पर विशेष ध्यान देने के साथ युवाओं के बीच मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करनी की कोशिश की है। और लक्षित समुदाय तक पहुंचने और अभियान में सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व हासिल करने के उद्देश्य से वर्तमान में देश के सभी जिलों में महत्वाकांक्षी नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) शुरू किया है।

आपको बताएं कि मादक द्रव्यों का सेवन विकार एक ऐसा मुद्दा है जो देश के सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। किसी भी पदार्थ पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। बल्कि उनके परिवारों और पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। विभिन्न मनो-सक्रिय पदार्थों के नियमित सेवन से व्यक्ति की निर्भरता बढ़ती है। कुछ पदार्थ यौगिकों से न्यूरो-मनोरोग संबंधी विकार, हृदय संबंधी रोग, साथ ही दुर्घटनाएं, आत्महत्याएं और हिंसा हो सकती है। इसलिए, मादक द्रव्यों के सेवन और निर्भरता को एक मनो-सामाजिक-चिकित्सीय समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए।

राष्ट्रीय औषधि निर्भरता उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी), एम्स, नई दिल्ली के माध्यम से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा भारत में मादक द्रव्यों के उपयोग की सीमा और पैटर्न पर व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण पर एक रिपोर्ट जारी किया गया है । इसके अनुसार, शराब भारतीयों द्वारा उपयोग किया जाने वाला सबसे आम मनो-सक्रिय पदार्थ है। इसके बाद कैनबिस और ओपियोइड्स का नवंबर आता है।

और पढ़ें-

कैसे पड़ा नसरूद्दीन होजा का नाम मुल्ला दो प्याजा..

दक्षिण की गंगा की है अपनी कहानी..

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here