Home Home-Banner रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय तय, पीएम मोदी करेंगे प्राण प्रतिष्ठा

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय तय, पीएम मोदी करेंगे प्राण प्रतिष्ठा

4399

raam mandir

Raam Mandir: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त मृगषिरा नक्षत्र में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। इस समारोह को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए रविवार को साकेत निलयम में संघ परिवार से जुड़े सदस्यों ने बैठक कर फैसला लिया। इसमें समारोह को चार भागों में बांटकर तैयारियों को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इसका पहला चरण रविवार से ही शुरू हो गया जो कि आने वाले 20 दिसंबर तक चलेगा। इसमें समारोह से संबंधित रूपरेखाओं से जुड़ी हुई चीजों की तैयारी की जाएगी। इसके लिए छोटे -छोटे संचालन समिति बनाई जाएंगी। जिला स्तर पर 10 -10 लोगों की टोली बनाने का निर्णय लिया गया है।

जिला स्तर पर बनी टोलियों में मंदिर आंदोलन के कारसेवकों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है। जिला स्तर पर बनी टोलियां 250 अलग-अलग स्थानों पर बैठकें कर समारोह से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का कार्य करेंगी। दूसरा चरण जो कि जनवरी से शुरू होगा। इसमें घर-घर संपर्क का कार्यक्रम किया जाएगा। जिसमें 10 लगभग 10 करोड़ परिवारों तक पूजित अक्षत, रामलला का विग्रह चित्र तथा एक पत्रक दिया जाएगा।

लोगों से समारोह के दिन दीपोत्सव मनाने की अपील की जाएगी। 22 जनवरी यानी कि प्राण प्रतिष्ठा का दिन तीसरे चरण में रखा गया है। समिति ने उस दिन, पूरे देश में उत्सव और अनुष्ठान करने की अपील की है। चौथे चरण में देशभर के राम भक्तों को रामलला के दर्शन कराने की योजना है। यह चरण 26 जनवरी यानी कि गणतंत्र दिवस से शुरू होकर 22 फरवरी तक चलेगा। इस अभियान को राज्यवार चलाने का निर्णय लिया गया है। अवध के कार्यकर्ताओं को रामलला के दर्शन 31 जनवरी तथा 01 फरवरी को कराने पर सहमति बनी है।

आपको बता दें कि रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा 20 नवंबर को रात 2 बजकर 9 मिनट से शुरू हो जाएगी। परिक्रमा में लगभग 42 किलोमीटर का रास्ता तय किया जाएगा। इसके लिए संबंधित सड़क मार्गों को दुरूस्त किया जा रहा है। इसके लिए जल आदि का छिड़काव किया जा रहा है और बसों के फेरे बढ़ा दिए गए हैं। यह पिरक्रमा 21 नवंबर की रात 11 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।

और पढ़ें-

दक्षिण की गंगा की है अपनी कहानी..

जानें क्या है, भारतीय रंगमंच के विकास की कहानी

सिर्फ संस्कृत ही नहीं और भी भाषाओं में है रामायण..

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here