रंगमंच था सजा
रामलीला मंचन के लिए
आते थे जाते थे कलाकार
थोड़े थोड़े अंतराल के लिए
किरदार अपना निभाने के लिए
पूछा एक बालक ने
थोड़ा सा सकुचाते हुए
दशरथ भी आए दशानन भी आया
पर राम क्यों बार बार है आते
असमंजस में पड़ गया मैं
कैसे उसे समझाऊ मैं
बोला फिर तनिक सोच के मैं
जिसका है चरित्र ऊंचा
उदाहरण है जो सब के लिए
अधिक वहीं रहता है रंगमंच पर
ध्यान यह तुम भी रखना
जीवन भी है रंगमंच तरह
आता जाता हैं इंसान
पर जिसका चरित्र है विशेष
आदर्श है जिसका पूर्ण जीवन
राम की तरह हो जिसका जीवन
छाप वही अपनी है छोड़ जाता