RBI REPO RATE: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक बार फिर से रेपो रेट को पहले के जैसा रखने का फैसला किया है। 8 दिसंबर को देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर से मौद्रिक समीक्षा के बाद इस बाबत घोषणा किया है। देश के केंद्रीय बैंक ने फिर से रेपो रेट को यथावत रखने का फैसला किया है। उसमें किसी भी तरह के बदलाव की कोई सूचना नहीं दी गई है। आरबीआई के मुताबिक ब्याज की दर 6.5 प्रतिशत पर बना रहेगा। हालांकि लोगों को इस बार काफी उम्मीद थी कि आरबीआई ब्याद दर को लेकर बदलाव का फैसला कर सकता है। रेपो रेट में बदलाव से सस्ते लोन मिलने की उम्मीद तत्काल तो वैसी की वैसी ही है।
प्राप्त सूचना के अनुसार रेपो रेट को तय करने वाली एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने ब्याज दरों को यथावत रखने के लिए अपनी सहमति जताई। आपको बता दें कि रेपो रेट के साथ-साथ जमा सुविधा दर और स्थायी सुविधा दर में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। स्टैडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी और मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी क्रमश: 6.25 तथा 6.75 प्रतिशत पर बरकार है। लगातार पांचवी बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया है।
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पिछली बार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने फरवरी में रेपो की दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करने का फैसला किया था। रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने देश के लिए मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए कहा कि इस बार रेपो रेट में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है और फिर से एक बार रेपो रेट यथावत बने रहेंगे।
आपको बता दें कि जब बैंक अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेता है। और जिस ब्याज दर पर बैंक रिजर्व बैंक को ऋण चुकाता है उसे बैंक का रेपो रेट कहते हैं। यानी कि अगर बैंक को लोन सस्ता मिलेगा तब ही आपको भी बैंक से सस्ता लोन मिल सकता है। नहीं तो महंगे दर पर लोन लेकर बैंक आपको सस्ता लोन नहीं दे सकते। रेपो रेट में बदलाव आम आदमी तथा बाजार पर काफी असर करता है। अगर रेपो रेट बढ़ते हैं तो आम आदमी के लिए मुश्किलें बढ़ती है और अगर घटती हैं तो उनके जेब पर भी असर करती है।
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