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शक सम्वत और विक्रम सम्वत में अंतर…

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जिस समय अंग्रेजी कैलेंडर को भारत में चलाया गया तब भारत में पहले से ही कई प्रकार के सम्वत प्रचलन में थे। इनमें सबसे प्रसिद्ध है शक सम्वत और विक्रम सम्वत । राजा प्रजा में यह संदेश देने के लिए कि इनके शासन के साथ एक नई युग का प्रारंभ हो रहा है, नया संवत चलाते थे। किंतु सम्वत शुरू करने के एक विशेष परंपरा होती थी और हर कोई सम्वत प्रारंभ करने का अधिकारी नहीं था। शक सम्वत और विक्रम सम्वत की तिथियां सूर्य और चंद्र की गति पर आधारित है अतः यह पूर्णतया वैज्ञानिक और प्रामाणिक है।

शक सम्वत दूसरी शताब्दी में कुषाण वंश के महान सम्राट कनिष्क के द्वारा चलाया गया था ।कनिष्क 78 ईस्वी /सीई में सिंहासन पर बैठे थे और इस तिथि को शक कैलेंडर युग के शुरुआत के रूप में इस्तेमाल किया गया था। अंग्रेजी काल में 78 घटाकर शक सम्वत की संख्या निकलते हैं ।शक कैलेंडर समय की चन्द्र सौर गणना पर आधारित है। शक सम्वत का पहला महीना चैत्र है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 1879 यानी 22 मार्च 1957 को शक सम्वत को भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में अपनाया गया था। यह 78 ईस्वी में प्रारंभ हुआ था ।अंग्रेजी कैलेंडर के ढांचे के समान शक कैलेंडर में 365 दिन और 12 माह होते हैं। शक सम्वत का प्रथम माह 22 मार्च से शुरू होता है।

विक्रम सम्वत विक्रम सम्वत जो कि उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य द्वारा चलाया गया था। इसके आरंभ की तिथि 57-58 ईसा पूर्व मानी जाती है ।महाकवि कालिदास इन्हीं सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। विक्रम सम्वत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। विक्रम सम्वत का नया महीना पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से होता है। यह सम्वत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है ।हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू नव वर्ष को विक्रम सम्वत भी कहा जाता है। चैत्रमास की प्रतिपदा से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।इस बार हिंदू नव वर्ष 9 अप्रैल 2024 से शुरू हुआ है जो विक्रम सम्वत 2081 के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषों के अनुसार हिंदू नव वर्ष बेहद महत्वपूर्ण है ।नेपाल का कैलेंडर विक्रम सम्वत पर आधारित है जो भारत और नेपाल में हिंदू पर परंपरा का व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाला प्राचीन कैलेंडर है।

लेखिका- रजनी गुप्ता

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