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भारत में स्थित यह मस्जिद मुहम्मद पैगंबर साहब के समय की है !

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Cheraman Juma Mosque: भारतीय इतिहास में मुस्लिम, मस्जिद और मुगल को हमेशा से जोड़ कर देखा जाता रहा है। जानकारों का मानना है कि मुगलों के समय से ही भारत में ही मस्जिदों का निर्माण शुरू हुआ था। चाहे वह दिल्ली की जामा मस्जिद हो या फिर हैदराबाद की मक्क मस्जिद। सभी का नाम मुगल काल से जाना जाता रहा है। लेकिन शायद यह सही नहीं है। भारत में मुस्लिम और मस्जिद का इतिहास मुगल से भी पहले से जुड़ा रहा है। आज इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम आपको बताएंगे कि भारत में बनी पहली मस्जिद का संबंध मुगल से नहीं बल्कि खुद पैगम्बर साहब के समय से है। चलिए जानते हैं विस्तार से।

कहां है भारत की पहली मस्जिद  और क्या है इसका इतिहास

भारत की पहली मस्जिद दक्षिणी राज्य केरल में स्थित है। जानकार बताते हैं कि इस मस्जिद का निर्माण उस वक्त कराया गया था, जब मोहम्मद साहब जिंदा थे। माना यह जाता है कि उस समय के क्षेत्रीय राजा चेरामन पेरूमल का शासन चल रहा था। उनको व्यापार के किसी सिलसिले में अरब जाना हुआ और वह मोहम्मद पैगम्बर से प्रभावित हो गए। उन्होंने मलिक इब्र दीनार को मस्जिद निर्माण के लिए केरल भेजा और फिर इसका निर्माण कार्य 629 ईसवी में पूरा हुआ।

शुरूआती तौर पर यह मस्जिद पूरी तरह से एक मंदिर की प्रतिरूप की तरह दिखती रही। वास्तव में इस मस्जिद को लकड़ियों की मदद से बनाया गया था और फिर अलग-अलग विदेशी आक्रमणों ने इसे जमींदोज भी कर दिया। बाद के दिनों में 11वीं और फिर 17वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण करवाया गया। और इसे आज का आधुनिक शक्ल दिया गया।

कौन था राजा चेरामन ?

रिपोर्ट की माने तो चेरामन पेरूमल, चेरा वंश का राजा था। वह मोहम्मद साहब के विचारों से काफी प्रभावित था। कुछ जानकारों का मानना है कि चेरामन के साथ एक बार चमत्कार हुआ था। उन्होंने चांद को टूटते हुए देखा था। जिसके बाद उनके अंदर मानसिक विचलन पैदा हो गई और वे इसका जबाव खोजने लगे। इस दैरान उनकी मुलाकात अरब से आए कुछ व्यापारियों से हुई। जिन्होंने, चेरामन को मोहम्मद साहब के बारे में बताया और चेरामन ने राज-पाट त्याग कर मोहम्मद साहब के पास चले गए। धीरे-धीरे चेरा वंश में यह परंपरा सी बना गई। इसके शासक एक वक्त के बाद अपना राज-पाट छोड़कर इस्लाम की ओर चल देते थे। इस तरह वंश धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगा। इसी बीच उनके क्षेत्र पर चोल राजवंश ने अपने साम्राज्य विस्तार के दौरान अपने क्षेत्र में मिला लिया और इस तरह चेरा वंश लगभग खत्म हो गया।

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