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सिखों में है पगड़ी के रंग के अलग मायने

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turban in sikh

Sikh Turban colors:  भारतीय समुदाय में पगड़ी के अपने खास मायने रहे हैं। इनमें से एक है सिख समुदाय जिनके लिए पगड़ी के मायने तो उनकी आन, बान और शान से जुड़ी हुई है। पगड़ी का मामला तो उनके धर्म में एक अलग पहचान की चीज है। अक्सर आपने सिख समुदाय के लोगों को अलग-अलग रंगों की पगड़ी पहने देखा होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि पगड़ी के इन रंगों के भी अपने मायने हैं। सिखों को आपने अलग-अलग मौकों पर अलग- रंग की पगड़ी पहने देखा होगा । इतना ही नहीं सिख समुदाय के लोग अपनी पगड़ियों से अपनी खास पहचान भी बताते हैं। आइए हम बताते हैं आपको इनके रंगो और खासियत के बारे में।

नारंगी और नीले रंग की पगड़ी

सिख समुदाय के लिए पगड़ी का जुड़ाव पहचान और धर्म से है। निश्चित ही इस समुदाय के भीतर भी कई सारे समूह होंगे ही। इसी में से एक है खालसा समूह। कई बार आपने इनके बारे में सुना भी होगा। खालसा सिख आमतौर पर नारंगी और नीले रंग की पगड़ी में आपको दिख जाएंगे। ऐसे तो पगड़ी का नीला रंग विद्रोह और लड़ाकू का प्रतीक है । और इस को इंगित करता इनका रंग खालसा को भी लड़ाकू की संज्ञा में फिट करता है। खालसा समूह खुद को लड़ाकू मानता भी है। वे स्वयं को अपने धर्म का रक्षक मानते है। नीला रंग उनकी पीढ़ियों की बहादुरी और संघर्ष का भी परिचय देती है। यह सिखों के लड़े जंगों के इतिहास की एक अमिट निशानी भी है। नारंगी रंग सिखों के लिए बुद्धिमानी का प्रतीक है। यह सिखों के पहले गुरु नानक देव जी के समय से साहस और ज्ञान का प्रतीक रहा है । सिख समुदाय के लिए इस रंग के मायने काफी खास रहे हैं। चूंकि त्याग और साहस का प्रतीक है नारंगी रंग इसलिए इसे हमेशा से ही नीले रंग से जोड़ कर देखा गया है।

सफेद पगड़ी

सफेद लगभग हर जगह ही शांति का प्रतीक रहा है। यह रंग उर्जा की प्रवाह को नकारात्मक से सकारात्मक की ओर प्रवाहित करता है । आमतौर पर आप सिख समुदाय के बड़े बुजुर्गों को सफेद पगड़ी पहने हुए देखते होंगे। जिसे शारीरिक पवित्रता की निशानी भी माना जाता है। इसी कारण सिख कीर्तन में आपको सिख पगड़ी बांधे दिख जाएंगे। इसके साथ ही सिख आपको अंतिम संस्कारों जैसे कार्यों में सफेद पगड़ी बांधे दिख जाएंगे।

काली पगड़ी

वैसे तो फैशन के इस दौर में काला रंग काफी एड्पटिव माना जाता है। लेकिन सिख समुदाय काले रंग को त्याग और मानवता के रंग का प्रतिनिधित्व मानता है। सिख समुदाय अहंकार को त्यागकर सेवा की भावना को जीता भी है और दुनिया को सिखाता भी है। इस तरह काले रंग की पगड़ी को पहनना सहजता और साधारण जीवन शैली का परिचायक है। सिख समुदाय के काले पगड़ी के पीछे घमंड को त्याग कर मानव जीवन में सेवा के भाव को अपनाना ही मूल कारण है।

गुलाबी और लाल पगड़ी

सिखों में गुलाबी और लाल रंग को बहुत ही शुभ माना जाता है। अक्सर आप सिख समुदाय में उत्सव और शादी-ब्याह के मौकों पर गुलाबी और लाल रंग की पगड़ी में लोगों को देख सकते हैं। सिख समुदाय में शादी के वक्त दूल्हे अक्सर इसी रंग की पगड़ी पहनना पसंद करते हैं। गुलाबी और लाल रंग जीवन की इक नई शुरूआत को भी दिखाता है। इसके ही साथ सिखों में गुलाबी और लाल रंग ताकत और बहादुरी का भी परिचायक है।

सुनहरी पगड़ी

सुनहरा रंग इंसान के भीतर के शीतलता का परिचायक है। हालाकि कई लोग सुनहरे रंग की पगड़ी को शादी से जोड़ कर देखते हैं। लेकिन सुनहरे रंग की पगड़ी के और भी कई मायने हैं। इस रंग का सिख समुदाय में खास महत्व है। आप जब कभी स्वर्ण मंदिर अमृतसर घूमने जाएंगे तो इसके महत्व को आसानी से देख पाएंगे। वहां पहुंचने वाले सिख धर्मावलंबी अपने भीतर एक खास तरह की शीतलता को महसूस करते हैं। इसी शीतलता को अपने में समेटती सिखों की सुनहरी पगड़ी के क्या ही कहने।

सिखों में पगड़ी के अलग-अलग रंगों की इस बात में हम आपको तो बताना ही भूल गए कि इनमें एक और रंग की पगड़ी को आपने कई बार देखा होगा। जी हां सिखों के सिर पर सजे पीली पगड़ी को। वैसे तो पीला रंग खुशी का प्रतीक रहा है। पीला रंग हमेशा से आजाद और स्वछंद महसूस कराने वाला रंग रहा है। इसलिए सिखों में पीले रंग की पगड़ी अमूमन खुशी के मौंको पर पहनी जाती है। जीवन के रंग हो या फिर प्रकृति या किसी और के। सब के सब हमें आपसी समरसता और जिंदगी की लबोलुबाब को ही बतलाते हैं। तो इन रंगों को अपनाते रहिए और जीते रहिए अपनी जिंदगी।

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