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सावन को खूब फिल्माया है भारतीय सिनेमा ने

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टीम हिन्दी

हिंदी सिनेमा में पहले से ही सावन के महीने को लेकर गाने बनते आए हैं, जो सुपरहिट साबित हुए. पुराने गानों में तो कई ऐसे सदाबहार गाने हैं जो आज भी सबके दिलों में बसते हैं. सावन का महीना पवन करे शोर,  अय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी जैसे कई मशहूर गाने हैं.

अभी भी फिल्मों में बरसात पर गाने बनाए जा रहे हैं. ‘क्रिएचर 3डी’ का हिट गाना जिसे अरिजीत सिंह ने अपनी आवाज दी थी और ये फिल्माया बिपाशा बसु पर गया था. गाने के बोल थे ‘तेरे मेरे मिलने का मौसम आया है’, काफी हिट साबित हुआ. इसके अलावा ‘आशिकी 2’ का गाना तुम ही हो बारिश में श्रद्धा कपूर और आदित्य राय कपूर पर फिल्माया गया. इस गाने को भी लोगों ने खूब पसंद किया. हिन्दी सिनेमा में 50 के दशक से लेकर साल 2001 तक की फिल्मों में सावन की छटा घुमड़ती रही है.

पचास से लेकर अस्सी के दशक के दौरान कई वर्षा गीत रचे गए. यह वह कालखंड है जब सावन का महीना ढोल बजा कर हरियाली आने का संदेश देता है. विमल राय की दो बीघा जमीन का यह यादगार गीत नई पीढी ने बेशक न सुना हो, मगर पुराने लोग इसे याद कर झूम उठते हैं. इसी तरह ‘दो आंखें बारह हाथ’ में ‘उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा’ प्रफुल्लित कर देने वाला गीत बना. यह गीत मानसून के आने का संदेश देता है. वहीं फिल्म गाइड में भी मेघों को पुकारते किसानों को सुना. वर्षा गीत के रूप में किसानों की गुहार हमने फिल्म ‘लगान’ में भी सुनी जब वे काली घटाओं को घनन-घनन गहराते देखते हैं.

सावन आते ही दो दिलों में प्रेम उमड़ने लगता है. अब तो यह बात वैज्ञानिक तथ्य के रूप में सामने आ चुकी है. सावन में प्रिय की याद और मिलन की कामना पुलकित कर देती है. हिंदी सिनेमा के नायक-नायिका इससे अछूते नहीं हैं. प्रेम में डूबी किसी नायिका के लिए यह सावन लाखों का है, जिसे दो टकिया की नौकरी की चिंता में नायक गंवा देता है. फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में बारिश में झूमती जीनत अमान को दर्शक आज भी नहीं भूले होंगे, मगर जहां तक भाव प्रवणता की बात है तो फिल्म परख का गीत ‘ओ सजना बरखा बहार आई, रस की फुहार आई, आंखियों में प्यार आए को श्रेष्ठ रचना मान सकते हैं. इसके संगीत का भी क्या कहना। सितार का इसमें इतनी खूबसूरती से प्रयोग किया गया है कि मन शीतल हो जाता है.

लेकिन पचास और साठ के दशक के बीच आई फिल्मों में कई शानदार वर्षा गीत रचे गए. इसमें मादकता भी है और भावप्रवणता भी. इस कड़ी में 1955 में आई फिल्म ‘श्री 420’ का सॉफ्ट रोमानी गीत ‘प्यार हुआ इकरार हुआ है प्यार से फिर क्यों डरता है दिल’ सर्वश्रेष्ठ गीत है. मन्नाडे और लता मंगेशकर के गाए इस गीत ने लाखों दिलों में हलचल मचा दी थी.

इसी तरह फिल्म अनजाना में राजेंद्र कुमार और बबीता पर फिल्माया ‘रिमझिम’ के गीत सावन गाए हाय भीगी-भीगी रातों में… को सुन कर युवा श्रोता आज भी रोमांचित हो उठते हैं. इसी तरह फिल्म हमजोली में जीतेंद्र और लीला चंद्रावरकर को ‘हाय रे हाय, नींद नहीं आए, दिल में तू समाय, आया प्यार भरा मौसम दीवाना’ हृदय की वीणा को झंकृत कर देता है.

बरसात का मौसम रिमझिम के तराने लेकर भी आता है. 1985 में आई फिल्म ‘काला बाजार’ में ‘रिमझिम’ के तराने लेके आई बरसात’ हिंदी सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ गीतों में से एक है. बारिश में राजेश खन्ना पर फिल्माए तीन गीतों की भी बरबस याद आती है. पहला ‘दो रास्ते’ में छुप गए सारे नजारे ओय क्या बात हो गई, दूसरा ‘रोटी’ में गोरे रंग पे इतना गुमां न कर, तेरा रंग दो दिन में ढल जाएगा’ और तीसरा प्रेम कहानी फिल्म का गीत ‘प्रेम कहानी में एक लड़का होता है एक लड़की होती है.’

बारिश की रात धान के खेत में फिरोज खान और निकिता पर फिल्माया गीत ‘रूत है मिलन की साथी मेरे आ रे, मोहे कहीं ले चल बांहाें के सहारे’ को सुन कर दिल में आज भी प्रेम की सुलगन पैदा हो जाती है. 1963 में तो ‘बरसात की रात’ नाम से फिल्म ही आई थी जिसके एक यादगार गीत ‘जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात’ को श्रोता आज भी नहीं भूल पाए. बारिश में जब दो दिल मिलते हैं तो पल भी छोटे लगने लगते हैं. तभी तो चंबल की कसम में राजकुमार और मौसमी चटर्जी पर फिल्माया गया गीत सिमटी हुई ये घड़ियां फिर से न बिखर जाएं’ को सुनकर दिल को बहुत सुकून मिलता है.

सावन का महीना प्रेमियों को मिलने के लिए प्रेरित करता है. तभी तो इस दौरान नायिकाओं को इस समय का बेसब्री से इंजतार रहता है. भूख खत्म हो जाती है, नींद नहीं आती. तभी तो फिल्म मेरा गांव मेरा देश में धर्मेंद्र अपनी नायिका से यही पूछते हैं- ‘कुछ कहता है ये सावन, क्या कहता है…’ फिल्म ‘आया सावन झूम के’ में भी धर्मेंद्र पर एक अच्छा गीत फिल्माया गया- ‘बदरा छाए कि झूले पड़ गए हाय मेले लग गए हाय मच गई धूम रे’ को श्रोता आज भी नहीं भूले हैं.  किशोर दा का गाया एक वर्षा गीत ‘जलवा है जिया मेरा भीगी-भीगी रातों में आ जा गोरी चोरी-चोरी अब तो रहा नहीं जाए रे’ को आज भी सावन के महीने में श्रोता सुनते हैं तो उनका दिल प्रिय से मिलने के लिए बेताब हो जाता है.

इसी तरह फिल्म रजनीगंधा में नायिका बारिश में भीगने के बाद घर पर गाती है- रजनीगंधा फूल हमारे, महके यूं ही जीवन में.’ वर्षा ऋतु में यह गीत सुन कर मन में खुशबू बिखर जाती है. नब्बे के दशक में आई फिल्म चांदनी का गीत ‘लगी आज सावन की फिर तो झड़ी है और फिल्म 1942 लव स्टोरी में मनीषा पर फिल्माया गीत रिमझिम-रिमझिम और मिस्टर इंडिया में श्रीदेवी पर फिल्माया वर्षा गीत ‘काटे नहीं कटते ये दिन ये रात, कहनी थी तुमझे दिल की बात’ उन चुनिंदा ट्रैक में से हैं, जिन्हें श्रोता आज भी पसंद करते हैं.

बारिश में जहां फिसलने का डर होता है वहीं युगल बहक भी जाते हैं. नमक हलाल मेंं अमिताभ ने गाकर यही इशारा किया- ‘आज रपट जाएं तो हमें न बचइयो’ फिल्म मोहरा और महेश भट्ट की फिल्म ‘सर’ में भी बारिश के गीत का अच्छा फिल्मांकन हुआ. कुछ साल पहले फिल्म ‘गुरु’ में बारिश में रचा गया एक सुंदर गीत सुनने को मिला.

भोलेनाथ की नगरी तेरे कितने नाम ?

संयुक्त परिवार या एकल परिवार

 

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