Home टेप रिकॉर्डर जब इंदिरा गांधी के गुस्से का शिकार हुए किशोर दा

जब इंदिरा गांधी के गुस्से का शिकार हुए किशोर दा

4544

आपको जानकारी है कि लाखों जवां दिलों पर राज करने वाले किशोर कुमार भी आपातकाल के शिकार हुए थे ? आखिर क्यों उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का कोपभाजन होना पड़ा ? किशोर दा पर क्यों प्रतिबंध लगा ? आइए, हम पूरी बात बताते हैं.

1947 में जब भारत अंग्रेजी शासन से आजाद हुआ, तो लोगों को लगा अब हम पर कोई तानाशाही नहीं करेगा, लेकिन उनका यह भ्रम तब टूटा जब 25 जून,1975 की अंधेरी रात को भारत में आपातकाल की घोषणा कर दी गई. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल यानी इमरजेंसी की घोषणा सुनकर पूरा देश सकते में आ गया.

अरे! ये क्या हो गया? उन दिनों जब कोई इंदिरा के खिलाफ आवाज उठाता या उनकी बात नहीं मानता था, तो उसे सजा मिलती थी. इंदिरा गांधी की मनमानी सिर्फ नेताओं या विद्रोहियों पर ही नहीं थी, इसकी आंच बॉलीवुड तक भी जा पहुंची थी. बॉलीवुड के मशहूर गायक किशोर कुमार की आवाज का तो हर कोई दीवाना था और है. चाहे किशोर दा का गाना ‘एक लड़की भींगी भागी सी’ हो या ‘मेरे महबूब कयामत होगी’ या ‘ओ मेरे दिल के चैन’ हर गाने का एक अलग ही खुमार है.

इमरजेंसी के वो दिन: पहला भाग (किशोर कुमार)

सोचिए, जब इस जादूगर की आवाज को लोग सुन नहीं पा रहे होंगे, तो उन लोगों को कैसा लग रहा होगा. दरअसल, जी.पी सिप्पी ने मुंबई के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को कहा था कि किशोर कुमार सहयोग करने की इच्छा नहीं दिखा रहा. आप उससे सीधे बात कर सकते हैं.

यह बात सिप्पी साहब को तब कहनी पड़ी, जब किशोर कुमार अपने देश के लोगों को गलत संदेश नहीं देना चाहते थे. हर सरकार को यह पता रहता है कि कब कौन सा गायक-गायिका या अभिनेता-अभिनेत्री लोगों के पसंदीदा हैं. उस दौर में किशोर कुमार लोगों के चहेते थे.

आपातकाल की लगाम थामे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सहयोगी वी.सी शुक्ला चाहते थे कि किशोर कुमार 20-प्वाइंट प्रोग्राम को आॅल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर प्रमोट करें. लेकिन इससे किशोर कुमार ने साफ मना कर दिया. उसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव और वी.सी शुक्ला ने मिलकर किशोर कुमार के गानों पर प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही उनके सारे फिल्मों की सूची तैयार की, जिसमें वे काम कर रहे थे. और तो और, उन सारे ग्रामोफोन, जिसमें किशोर कुमार की आवाज थी, सब को बेचने से मना कर दिया. उसके बाद से जब तक आपातकाल के दिन थे, तब तक किशोर दा की आवाज टी.वी. और रेडियो पर सुनाई नहीं दी.

इसी बीच किशोर कुमार ने एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने सहयोग करने की बात कही. सी.बी जैन, जो उस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव थे, ने कहा कि हम प्रतिबंध हटा सकते हैं, लेकिन हमें यह देखना होगा कि ये हमारा कितना सहयोग करता है ?

उस समय उन्होंने किशोर कुमार पर लगा प्रतिबंध नहीं हटाया. अव सवाल है कि क्या किशोर कुमार ने 20-प्वाईंट प्रोग्राम को प्रमोट किया? क्या किशोर कुमार को ‘हां’ बोलने के बदले धोखा मिला? आखिर उनका प्रतिबंध कैसे हटा? देव आनंद के कहने पर क्या हुआ ? ऐेसे ही कई बातें जानने के लिए पढ़ें – पार्ट 2.

Jab indira gandhi ke gusse ka shikar hue kishor da

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here