ग़मों के बीच से आओ! खुशी तलाश करें
अंधेरे चीरके हम रोशनी तलाश करें
ख़ुशी को अपनी लुटाकर ख़ुशी तलाश करें
सभी के साथ में हम ज़िन्दगी तलाश करें
हटाके धूल जमी है जो अपने रिश्तों पर
पुराने प्यार में हम ताज़गी तलाश करें
अकेलेपन को मिटाने को आज दुनिया से
भुलाके भेद सभी दोस्ती तलाश करें
दिल अपना शोर से दुनिया के आज ऊब गया
चलो कहीं भी मिले ख़ामशी तलाश करें
ख़ुशी जो गुम है चकाचोंध में बनावट की
ख़ुशी वो पाएं अगर सादगी तलाश करें
निकल पड़ेंगे उजाले इन्हीं अंधेरों से
हम अपने मन की अगर रोशनी तलाश करें
नहा के जिसमें बनें मन पवित्र लोगों के
विशुद्ध जल की वो गंगा नदी तलाश करें
मिटाके नफ़रतें संसार से सभी “ओंकार”
चलो के भोर मुहब्बतभरी तलाश करें
प्रस्तुति: ओंकार सिंह “ओंकार”, मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
Gamo ke beech se aao , khushi talash kro