गुरुदेव ‘रबीन्द्रनाथ टैगोर’
6 मई 1861- 7 अगस्त 1941
“जो धरती की आत्मा के निकट है,
जो उससे ही बने, उसी में ढले हैं,
जो अपना अंतिम विराम उसी में पाएंगे,
मैं उन सब का मित्र हूं, मैं कवि हूँ।”
साहित्य की हरेक विधा जैसे कविता, गान, उपन्यास आदि में जिनकी रचनाएं आज विश्वविख्यात है, बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हुए भी जो स्वयं को हमेशा एक ‘कवि’ ही मानते आए हैं। ऐसे संगीतज्ञ, ऐसे शिक्षक, ऐसे गुरुदेव ‘रबीन्द्रनाथ टैगोर’ जिनका जन्म 6 मई, 1861 को कोलकाता के सम्पन्न एवं सुसंस्कृत परिवार में हुआ, उन्हें हमारा वंदन II
Ek mahaan kavi sahitya sangitkaar gurudev ravindra tagore