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बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम का भव्य आयोजन विजय चौक पर संपन्न, जानें इसके इतिहास को

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Beating Retreat ceremony: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के विजय चौक पर कल यानी कि सोमवार की शाम बीटिंग रिट्रीट समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वीवीआईपी भी शामिल हुए। बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा कारणों से विजय चौक के आसपास के कुछ रास्तों पर यातायात प्रभावित हुई। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस बाबत लोगों से पहले ही वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दे दी थी।

आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस समारोह के तीन दिन बाद यानी कि प्रत्येक वर्ष 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट का आयोजन किया जाता रहा है। इस कार्यक्रम के बाद गणतंत्र दिवस समारोह को औपचारिक रूप से समाप्त माना जाता है। बिटिंग रिट्रीट कार्यक्रम की शुरुआत 1952 से शुरू हो गई थी। हालांकि देश में रिपब्लिक डे का आयोजन 1950 से ही हो रहा है।

कब से शुरू हुई बीटिंग रिट्रीट

वैसे तो बीटिंग रिट्रीट का चलन 17 वीं शताब्दी से ही माना जाता है। कहा जाता है कि लड़ाई खत्म होने पर सेनाएं बिगुल बजाती थी और उत्साह से युद्ध खत्म होने की घोषणा करती थी। इसे ही बीटिंग रिट्रीट कहा जाता था। इस रिवायत को भारत सेना ने आजादी के बाद अपना लिया और हर साल रिपब्लिक डे के तीन बाद इसका आयोजन किया जाता है।

इतिहास के पन्नों में पहली बार बीटिंग रिट्रीट के साल 1961 के कार्यक्रम में उस साल गणतंत्र दिवस समारोह में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ मुख्य अतिथि थी। इस कार्यक्रम में सेना के तीनों अंगों के साथ-साथ दिल्ली पुलिस का बैंड भी भाग लेता है। इसमें कुछ बॉलीवुड संगीतों के धुन भी बजाए जाते हैं। इस सेरेमनी में कदम-कदम बढ़ाए जा, जय हिन्द की सेना, ऐ मेरे वतन के लोगों जैसे गीत की धुन बजाए जाते हैं। बीटिंग रिट्रीट के इस आयोजन को देखने बहुत ज्यादा संख्या में आम नागिरक भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

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