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पोखरण की जमीन पर भारत का पहला परमाणु परीक्षण, क्यो किया था गुप्त।

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भारत को आजादी तो मिल गई थी लेकिन इस आजादी के बााद भी भारत को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा I आजादी के बाद भी ढाई दशकों तक भारत को पड़ोसी देश से चार युद्ध लड़ने पड़े। जिनमें से तीन पाकिस्तान और एक चीन से जिसके बाद भारत को महसूस हुआ की भारत को परमाणु हथियार की सख्त जरूरत हैI खास कर ये देख कर की पड़ोसी देश चीन 1964 में ही परमाणु शक्ति से लैस हो गया था। इसी घटना के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में खड़े होकर कहा था,’परमाणु बम का उत्तर तो परमाणु बम ही हो सकता है,कुछ और नहीं’ संयोग की बात तो ये रही की 34 साल बाद वाजपेयी के ही कार्यकाल में भारत परमाणु शक्ति से संपन्न देश बना।अपको बता दें की उसी परिक्षण की तैयारी गुप्त रखी गई थी I लेकिन पुरी बात को विस्तार से समझने के लिए पहले हमें परमाणु कार्यक्रम के इतिहास को समझना जरूरी है।

परमाणु का इतिहास।

भारत में परमाणु बनाने की कोशीश 1944 से ही शुरू हो गई थी I यानी आजादी के पहले से ही लेकीन अहिंसा के पक्षधर गांधी जी और देश के पहले प्रधानमंत्री इसके सख्त खिलाफ थे। वह न्यूक्लियर वेपन मुक्त दुनिया चाहते थे। लेकीन ऊर्जा के क्षेत्र में इसके इस्तेमाल को लेकर वकालत करते भी नजर आते थे।ऐसे में भारत का परमाणु कार्यक्रम बड़े ही अनमने ढंग से हुआ था।देश में परमाणु शक्ति बनने की दिशा में पहला कदम 1947 में लिया गया।और इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पहला  एटमी टेस्ट स्माइलिंग बुद्धा हुआ I जिसके बाद सही मायनो में देश परमाणु हथियार से लैस हुआ।

11 मई को दिया मिशन शक्ति को अंजाम।

11 मई 1998 ये वो तारीख है जब पोखरण की भूमि पर परमाणु परीक्षण हुआ I उस समय पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास भारत ने तीन परमाणु परीक्षण कर पुरी दुनिया में अपना परचम लहरा दिया और ये साबित कर दिया की भारत भी अब दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार है। इस परमाणु परिक्षण को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था।अपने शीर्षक के तहत ही भारत ने पूरी दुनिया में अपनी ताकत का भी परिचय दे दिया था। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में ही भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण भी सफलतापूर्वक पुरा किया था।

परमाणु परीक्षण क्यों था गुप्त

परमाणु परीक्षण को बहुत ही गुप्त तरीके से अंजाम दिया  गया था I ताकी किसी को भी कानो कानो इसकी खबर ना हो सके।दरअसल परीक्षण को गुप्त रखने की पीछे का कारण था अमेरिका, क्योकी वो नही चाहता था की भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश बने और उसकी बराबरी करे , साल 1995 में हो रहे परिक्षण पर अमेरिकी सैटेलाइट और खुफिया एजेंसी के पुरी तरह से पानी फेरने के बाद भारत ने सबक लिया और दूसरे परीक्षण को एकदम गुप्त रखा गया था।

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