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पहले कहा गया था – मो को कहां सीकरी सो काम. लेकिन, अब समय बदला, तो हर कोई सीकरी यानी फतेहपुर सीकरी जाना चाहता है. कभी सत्ता का केंद्र रहा यह ऐतिहासिक स्थल, अब पर्यटन का केंद्र हो गया है. यहां का बुलंद दरवाजा भी काफी प्रसिद्ध है. यह सम्राट अकबर की गुजरात पर जीत के स्मारक के रूप में बनवाया गया था. यह देखने में बेहद खूबसूरत है. यह लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है. इसके अंदर सफेद और काले संगमरमर की नक्काशी है.
शतरंज जैसा खेला जाने वाला खेल पचीसी तो आप जानते ही होंगे लेकिन फतेहपुर सीकरी में एक पचीसी न्यायालय है. जहां सम्राट अकबर शतरंज खेलते थे. यह दीवान-ए-आम के पास स्थित है. यहां की जमीन पर काले और सफेद चौकोर पत्थर लगे हैं.
बता दें कि आगरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक शहर है, जिसका निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था. फतेहपुर सीकरी को अकबर के सपनों का नगर कहा जाता है क्योंकि इसे उन्होंने पूरी लगन से बनवाया था. इसकी योजना को तैयार करने में ही उन्हें 15 वर्ष लग गए. फतेहपुर सीकरी के निर्माण से पहले मुगलों की राजधानी आगरा थी लेकिन इसके बाद अकबर ने राजधानी को नए नगर में स्थानांतरित कर लिया था. 1571 से 1585 तक फतेहपुर सीकरी मुगलों की राजधानी रही. 1573 में यहीं से उस ने गुजरात को फतह करने के लिए कूच किया था. गुजरात पर विजय पाकर लौटते समय उस ने सीकरी का नाम ‘फतेहपुर’ (विजय नगरी) रख दिया. तब से यह स्थान फतेहपुर सीकरी कहलाता है.
फतेहपुर सीकरी में बना इबादत खाना भी काफी फेमस है. इसे आराधना घर भी कहते हैं. यह वही जगह है जहां पर सुन्नी मुसलमान चर्चा करने के लिए एकत्र होते थे. यहां से हमेशा गुरुवार शाम को विचार विमर्श हेतु आने के लिए लोगों को बुलाया जाता था.
कहा जाता है कि एक बार अकबर संतान प्राप्ति की अर्जी लेकर अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह गए. जाते समय सीकरी में अकबर की मुलाकात सूफी फकीर शेख सलीम चिश्ती से हुई. फकीर ने अकबर से कहा बेटा तू मेरे ठहरने का बंदोबस्त कर दे, तेरी मुराद पूरी होगी. उस समय अकबर ने उनका इंतजाम सीकरी में ही करवा दिया. कुछ समय बाद अकबर बेगम जोधाबाई गर्भवती हो गईं, अकबर ने उन्हें फकीर के पास ही भेज दिया. जोधा को पुत्र हुआ. उसके बाद अकबर ने खुश होकर कहा कि जहां मेरे पुत्र ने जन्म लिया, मैं वहां एक नगर बसाउंगा. उसके बाद फतेहपुरी सीकरी को बनाने की योजना तैयार हुई.
यहां पर बने शेख सलीम चिश्ती के मकबरे उन्हेंा श्रद्धांजलि देने के रूप में बनवाएं गए थे. यह पूरी कब्र संगमरमर की बनी है. यह कब्र बुलंद दरवाजे के सामने बनी है. समाधि एक उठे हुए मंच पर बनी है. यहां पर बड़ी संख्याक में पर्यटक आते हैं. मरियम-उज-जमानी पैलेस फतेहपुर सीकरी के मुख्य किला परिसर में बना है. यह एक सुदर मुगल थीम वाला महल है. कहते हैं कि अकबर की हिंदू पत्नी जोधा बाई यहीं रहती थी. यहां काफी खूबसूरत बगीचे बने हैं. इसकी नक्काशी काफी भव्य् है. यह पांच मंजिली भव्य इमारत है. इस महल का प्रयोग बादशाह द्वारा शाम को हवाखोरी करने एवं चांदनी रात का लुत्फ उठाने में होता था. इस महल की खूबी यह है कि इस में कुल 176 खंभे हैं, जिनके सहारे यह इमारत खड़ी है. प्रत्येक खंभे पर अलग-अलग कलाकृति को दर्शाती पच्चीकारी देखने को मिलती है.
Aap sabko hai sikri so kaam