वर्ष 2020 को आप कैसे याद करेंगे ? यदि आपसे यह पूछा जाए तो आप तपाक से इसे कोरोना को लेकर याद करने की बात करेंगे। जरा ठहरिए। कभी आपने सोचा है कि कोरोना ने आपको क्या दिया ? कितना छिना और कितना दिया ? संभव है, आपके कुछ परिचित आपसे इस महामारी के दौर में बिछड़ गए होंगे। आपकी रोजी-रोटी पर असर हुआ होगा। बावजूद इसके आपने सोचा है कि आप और हम आज जो हैं, वह किसलिए शेष हैं। यकीन मानिए, अपने संस्कारों और जीवनमूल्यों के कारण।
इसलिए हमारा आप सभी से आग्रह है कि आप अपने जन्मदिन को वैदिक तरीके से मनाएं। वैदिक यानी सनातन। हाल के दिनों में रात में 12 बजे केक आदि काटने का प्रचलन बढ़ा है। क्या हमारी संस्कृति में यह था ? नहीं न। हम तो अपने जन्मदिन पर पौधारोपण करते आए हैं। हमारे आराध्य भगवान श्रीराम ने भी अपने शादी के अवसर पर मिथिला में पौधारोपण करके यह पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। पर्यावरण की दृष्टि से हमारे घर की मां-बहने सवेरे उठकर तुलसी के पौधों में जल अर्पित करती हैं। पर्यावरण है, तो हम हैं।
असल में, अपने पूर्व जीवन के सुकर्मों व दुष्कर्मों पर दृष्टि डालकर दुर्गुणों को त्यागने व सत्कर्मों को अपनाने के लिए प्रभु से प्रार्थना करना ही जन्मदिवस मनाने का उद्देश्य है| प्राचीन वैदिक परम्परा में जन्मदिन के दिन नित्य कर्म के बाद देवपूजन, ग्रहपूजन करके दान देने की परम्परा है और बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है, जबकि बर्थडे को बाजारी केक पर अपना नाम लिखवा कर स्वयं चाकू से काट देना, मोमबत्ती को फूंक मारकर बुझा देना,यह अंग्रेजों की परम्परा रही है।
वर्तमान समय में पूरा विश्व समुदाय हमारे वैदिक विज्ञान की श्रेष्ठता स्वीकार करने लगा है वही हम सब उनके शैली को अपनाकर गर्व महसूस करते हैं – जन्मदिन पर केक काटना, मोमबत्तियाँ जलाकर बुझाना, जन्म दिन के जश्न में शराब मांस का भक्षण करना इत्यादि कार्यक्रम हमारी भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं है। आज हम मोमबत्ती जलाते है पुनः उसे बुझाकर हैप्पी बर्थडे कहते है। भारतीय संस्कृति में प्रत्येक शुभ कार्य का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर करने का विधान है प्रज्वलित दीप को कभी भी बुझाया नहीं जाता है बल्कि अखण्ड जोत जलाया जाता है। प्रज्वलित दीप को बुझाना तो अशुभ माना गया है। बच्चे हमारे कुलदीप हैं, उनके यशकीर्ति तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना दीपक जला कर करनी चाहिए, मोमबत्तियाँ बुझाकर नहीं।
ओ३म् उप प्रियं पनिन्पतं युवानमाहुतीवृधम्|
अगन्म बिभ्रतो नमो दीर्घमायुः कृणोतु मे||
– अथर्ववेद-7.32.1
भावार्थ– हे स्तुति करने योग्य प्रियतम प्रभु! जिस प्रकार मैं इस आहुति द्वारा इस यज्ञ की अग्नि को बढ़ा रहा/रही हूँ, वैसे ही मैं सात्विक अन्न का सेवन करके अपनी आयु को बढ़ाता हुआ / बढ़ाती हुई प्रतिवर्ष अपना जन्मदिन मनाता/मनाती रहूँ|
जन्मदिन अर्थात जीव की आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति । जीव पर किए गए संस्कार उसकी सूक्ष्मदेह पर अंकित हुए हैं अथवा नहीं’, इसका ब्यौरा लेने का दिन अर्थात जन्मदिन । आध्यात्मिक उन्नति होने पर ही वह वास्तविक जन्मदिन सिद्ध होता है इस चैतन्यात्मक प्रक्रिया से सात्त्विक बने बाह्य वायुमंडल हेतु पूरक बनकर जीव आंतरिक स्थिरता प्राप्त करता है।’
सत्य, त्रेता एवं द्वापर युग में जीव के प्रथम जन्मदिन पर आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत पुरुष आशीर्वाद देने आते थे अथवा उनके आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु उस जीव को उन्नत पुरुषों के पास ले जाते थे । उन्नत पुरुष उस जीव की दीप-आरती कर, उसके लिए अव्यक्त संकल्प कर, उसके शरीर के विविध अवयवों पर अक्षत डालकर उस स्थान का चक्र जागृत करते थे । अपने हाथ की उंगलियों में अक्षत लेकर, जिस चक्रतक जीव की उन्नति हो गई हो, उसके अगले चक्र को उंगलियों से स्पर्श करते थे। इससे जीव की कुंडलिनी की आगामी यात्रा आरंभ होती थी।
जिस तिथि पर हमारा जन्म होता है, उस तिथि के स्पंदन हमारे स्पंदनों से सर्वाधिक मेल खाते हैं । इसलिए उस तिथि पर परिजनों एवं हितचिंतकों द्वारा हमें दी गई शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद सर्वाधिक फलित होते हैं । जन्मदिन पर (तिथि पर) ब्रह्मांड में कार्यरत तरंगें जीव की प्रकृति एवं प्रवृत्ति के लिए पोषक होती हैं तथा उस तिथि पर की गई सात्त्विक एवं चैतन्यात्मक कृतियां जीव के अंतर्मन पर गहरा संस्कार अंकित करने में सहायक होती हैं । इस कारण जीव के आगामी जीवनक्रम को आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है और जीवन में आनेवाली बाधाओं के विरुद्ध संघर्ष करने की क्षमता उसे प्राप्त होती है।
मोमबत्ती जलाकर जन्मदिन मनाने से बचें, क्योकि केक के ऊपर मोमबत्ती जलाकर बुझाना अशुभ है परन्तु आजकल इसका ही प्रचलन हो गया है फिर भी आप परिहार स्वरूप मोमबत्ती जलाए परन्तु मुंह से बुझाए नहीं बल्कि सभी प्रज्ज्वलित मोमबत्तियों को अपने घर के प्रत्येक स्थान पर रख दे इससे आपके और आपके घर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिल जायेगी।
तरुण शर्मा (लेखक हिन्दी भाषा अभियानी हैं।)
All is well jab vedic tarike se manayege janamdin- Tarun sharma