ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। बसंत, ग्रीष्म और वर्षा ‘देवी’ ऋतु हैं, तो शरद, हेमंत और शीत ‘पितरों’ की ऋतु है। आइए जानते हैं इन ऋतुओं के बारे में-
इस ऋतु में होली, धुलेंडी, रंगपंचमी, बसंत पंचमी, नवरात्रि, रामनवमी, नव-संवत्सर, हनुमान जयंती और गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें से रंगपंचमी और बसंत पंचमी जहां मौसम परिवर्तन की सूचना देते हैं वहीं नव-संवत्सर से नए वर्ष की शुरुआत होती है।
ग्रीष्म ऋतु- वसंत के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है जो कि वसंत और वर्षा ऋतु से बिल्कुल विपरीत होती है। इस ऋतु में सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। इस दौरान दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है। इस ऋतु में वातावरण का तापमान भी बहुत अधिक रहता है। ग्रीष्म ऋतु मूल रूप से फल वाला समय भी है, इस ऋतु में ताजे और मौसमी फलों के सेवन से हमारा स्वास्थ्य भी काफी अच्छा रहता है।
वर्षा ऋतु में बारिश होने की वजह से लोग ज्यादातर घर में ही रहते है। इस समय मौसम हल्का ठंडा रहता है, जिस वजह से लोग गरम चीजें खाते हैं।
हमारे कृषि प्रधान देश में वर्षा ऋतु किसानों के लिए एक वरदान साबित होती है। क्योंकि किसानों को इस समय खेती में लाभ मिलता है। हरी-भरी धरती और बादलों के आसमान में छा जाने का दृश्य देखते ही बनता है। वर्षा का मौसम गर्मी से झुलसते जीवों को शांति एवं राहत पहुँचता है और लोगों का मन आनंदित कर देता है।
शरद ऋतु- वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है। इस ऋतु को ‘ठंड’ का एवं ‘पतझड़’ का मौसम भी कहा जाता है। इस समय वायु की आर्द्रता इतनी अधिक बढ़ जाती है कि लोगों को असहनीय उमस का सामना करना पड़ता है। भारत में यह स्थिति ‘क्वार की उमस’ या ‘अक्टूबर की गर्मी’ के रूप में भी जानी जाती है।
यह ऋतु एक तरह से शीतकाल की शुरुआत होती है। इस दौरान दिन छोटे और रातें लंबी होना शुरू हो जाती है। शरद ऋतु में पत्ता गोभी, सेम, मटर, आलू, गाजर, मूली, लौकी जैसी कई तरह की सब्जियां आने लगती है जिसका सेवन कर लोग अपनी सेहत बनाते हैं। गुड़ और गन्ने शरद ऋतु की ही देन है जिसे खाकर शरीर में गर्मी पैदा होती है।
इस ऋतु की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, इस ऋतु में भूख अधिक लगती है और जो भी खाया जाता है वह जल्दी पच जाता है। इसीलिए इस ऋतु को ‘शक्ति संचयन’ का काल भी माना जाता है।
शरद ऋतु में कीटाणुओं का प्रकोप कम हो जाता है। ठंड की वजह से मच्छर भी मर जाते हैं और मक्खियों की संख्या भी घट जाती है। इस मौसम में लोग ज्यादातर स्वस्थ ही रहते हैं, संक्रामक बीमारियों का असर भी कम रहता है। शारदीय नवरात्र, विजयादशमी जैसे बड़े त्योहार शरद ऋतु में ही मनाए जाते हैं।
हेमंत ऋतु- हेमंत ऋतु शरद और शीत के बीच की ऋतु है। शरद पूर्णिमा से हेमंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस ऋतु में सर्दी अपने अंतिम चरम पर होती है, दिन और रात का तापमान इस ऋतु में काफी निचले स्तर पर पहुँच जाता है। हेमंत ऋतु में शरीर प्रायः स्वस्थ रहता है। पाचन शक्ति बढ़ जाती है।
हेमंत ऋतु में पृथ्वी की सूर्य से दूरी अधिक हो जाने के कारण तापमान में लगातार कमी होने लगती है। माहौल में धीरे-धीरे ठंडक घुलने लगती है। आयुर्वेद में इस ऋतु को स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा बताया गया है। इस ऋतु में शरीर को खाने-पीने से भरपूर ऊर्जा मिलती है और प्रतिरक्षा शक्ति भी उत्तम बनी रहती है। व्यायाम के साथ इस ऋतु में सभी रसों का सेवन भी किया जा सकता है। इस ऋतु को ‘खिले फूलों’ और ‘मीठे फलों’ की ऋतु भी कहा जाता है।
इस ऋतु में कई शुभ तिथि और त्यौहार भी आते हैं। बारह मासों में से तीन मास कार्तिक, अगहन और पौष हेमंत ऋतु में आते हैं। कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे बड़े त्योहार आते हैं। इस मास की पूर्णिमा का भी अपना एक अलग ही महत्व होता है।
भारत में शीत ऋतु सबसे महत्वपूर्ण ऋतु है। शीत ऋतु स्वास्थ्य का निर्माण करने की ऋतु है। इस ऋतु में पाचन शक्ति प्रबल होती है, लोग आराम से भोजन कर पाते हैं। इसलिए लोग इस मौसम में अधिक ऊर्जावान और क्रियाशील भी महसूस करते हैं। इस मौसम में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं।
शीत ऋतु में त्योहारों का बहुत महत्व होता है। इस ऋतु में उत्तर भारत में 14 जनवरी को लोहड़ी और मकर सक्रांति मनाई जाती है तथा दिसंबर में ईसाईयों द्वारा क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी का त्योहार भी शीत ऋतु के दौरान ही आता है। शीत ऋतु में ही स्वास्थ्यवर्धक और पसंदीदा फलों जैसे- संतरा, अमरुद, चीकू, पपीता, आंवला, गाजर, अंगूर आदि को देखा जा सकता है।
bharat ki rituye aur unka mahatav