“द हिन्दी” की टीम आज अपने अंतरराष्ट्रीय अभियान “हिन्दी में हस्ताक्षर” के लिए कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रांगण में पहुंची। महाविद्यालय के प्रांगण में चहुं ओर शिक्षक, शिक्षका और विधार्थीगणों का उमंग देखने लायक था। हो भी क्यूं ना। कॉलेज में कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोरो-शोरो से चल रही थी। महाविद्यालय की प्रधानाचार्या प्रो. मीना चरांदा ने “द हिन्दी” की टीम का हृदय से स्वागत किया।
“द हिन्दी” द्वारा आयोजित “हिन्दी में हस्ताक्षर अभियान” में प्रो. मीना चरांदा ने अपने नाम की अभिव्यक्ति यानी कि अपना हस्ताक्षर अपने निज भाषा हिन्दी में करके “द हिन्दी” के इस अभियान को सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। “द हिन्दी” के प्रबंध संपादक तरूण शर्मा जी ने कालिंदी कॉलेज की प्रधानाचार्या प्रो. मीना चरांदा जी का अपने निज भाषा में अभिव्यक्ति तथा भारतीय सभ्यता और संस्कृति में विशेष योगदान के लिए “विशेष सम्मान” से सम्मानित भी किया। इस अभियान के दौरान भारत, भारतीय संस्कृति, हिन्दी और युवाओं को लेकर ढ़ेरों बातें हुई। प्रो. मीना जी ने अपने उन्मुक्त और सुसंस्कृत विचारों से पूरे अभियान की शोभा ही बढ़ा दी। पूरा अभियान मानो भारत और भारत की बातों से सराबोर था।
“द हिन्दी” के संपादक कुमार गोविन्द कृष्ण को दिए साक्षात्कार में प्रधानाचार्या महोदया प्रो. मीना चरांदा जी ने भारत और हिन्दी से जुड़ी कई विशेष पहलुओं पर बातें की। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा कि हिन्दी और भारत दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, “हिन्दी भारत की आत्मा है”। अगर हिन्दी नहीं होगी तो लगभग भारत की आधी चीजें खत्म हो जाएंगी। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत के नमस्ते को सीखना चाहती है। यही तो हिन्दी का मान है और भारत की शान है। उन्होंने भाषा को अभिव्यक्ति का माध्यम बताया और कहा कि यह हर मानक पर खड़ी उतरती है। हमें हमेशा से ही हिन्दी में बात करते हुए गर्व होना चाहिए, क्योंकि यह हमारी पहचान है। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दी भारत की लगभग 17 राज्यों में पूर्ण तौर पर बोली जाती है, यह इसकी महत्ता को सिद्ध करती है।
प्रो. मीना जी ने हिन्दी को लेकर सरकार की नीतियों के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि सरकार भी इस दिशा में पुरजोर प्रयास कर रही है। इस प्रयास का असर भी हमारे समाज में प्रत्यक्ष तौर पर दिख रहा है। आज सरकार सारे विश्वविद्यालयों में यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि वहां के ज्यादा से ज्यादा काम हिन्दी भाषा में हो, जो कि अपने में एक साकारात्मक कदम है। उन्होंने “हिन्दी में हस्ताक्षर” अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसे हर तबके तक पहुंचना चाहिए और साथ ही “द हिन्दी” की टीम का मान बढ़ाते हुए यह भी घोषणा कि की आज से हमारे कॉलेज में यह कोशिश होगी कि हमारे नाम की अभिव्यक्ति अर्थात हमारे हस्ताक्षर हमारी निज भाषा हिन्दी में ही हो।
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