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गिलोय एक ऐसी औषधि है, जिसे अमृत तुल्य वनस्पति माना जाता है. अमृत तुल्य उपयोगी होने के कारण इसे आयुर्वेद में अमृता नाम दिया गया है. ऊंगली जैसी मोटी धूसर रंग की अत्यधिक पुरानी टहनी औषधि के रूप में प्रयोग होती है. आयुर्वेदिक द्रष्टिकोण से रोगों को दूर करने में सबसे उत्तम औषधि के रूप में गिनी जाती है. यह मनुष्य को किसी भी प्रकार के रोगों से लड़ने कि ताकत प्रदान करती है.
गिलोय एक शामक औषधि है, जिसका ठीक तरह से प्रयोग शरीर में पैदा होने वाली वात, पित्त और कफ से होने वाली बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है. गिलोय का वैज्ञानिक नाम ‘टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया’ (Tinospora cordifolia) है। इसे अंग्रेज़ी में गुलंच कहते हैं. कन्नड़ में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, तेलुगू में गोधुची, तिप्प्तिगा, फारसी में गिलाई, तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि नामों से जाना जाता है. गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलो इन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं.
बता दें कि गिलोय की एक सबसे अच्छी खासियत ये है कि यह जिस भी पेड़ पर चढ़ जाती है, उसके गुण को अपने भीतर चढ़ा लेती है. नीम पर चढ़ी हुई गिलोय सबसे उत्तम मानी जाती है, जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी है, उन्हें गिलोय के रस का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए. डायबिटीज के मरीजों के लिए यह वरदान है. गिलोय में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो खतरनाक रोगों से लड़कर शरीर को सेहतमंद रखते हैं. गिलोय किडनी और लिवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है और खून को साफ करती है. नियमित रूप से गिलोय का जूस पीने से रोगों से लड़ने की क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है.
गिलोय को ज्वरनाशक भी कहा जाता है. अगर कोई व्यक्ति काफी दिनों से किसी भी तरह के बुखार से पीड़ित है और काफी दवाएं लेने के बाद भी बुखार में कोई आराम नहीं मिल रहा हो तो ऐसे व्यक्ति को रोजाना गिलोय का सेवन करना चाहिए. इसके साथ ही अगर किसी को डेंगू बुखार आ रहा हो तो उसके लिए मरीज को डेंगू की संशमनी वटी (गिलोय घनवटी) दवा का सेवन कराया जाए तो बुखार में आराम मिलता है. संशमनी वटी दवा डेंगू बुखार की आयुर्वेद में सबसे अच्छी दवा मानी जाती है.
गिलोय के पत्तों का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके डंठल का ही प्रयोग करना चाहिए. अधिक मात्रा में गिलोय का सेवन न करें, अन्यथा मुंह में छाले हो सकते हैं. गिलोय को अडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जो मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है. एक उत्कृष्ट स्वास्थ्य टॉनिक बनाने के लिए, गिलोय अक्सर अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिश्रित किया जाता है. यह स्मृति को बढ़ावा देने और काम पर ध्यान लगाने में मदद करता है. यह मस्तिष्क से सभी विषाक्त पदार्थों को भी साफ करता है.
दरअसल, गिलोय 5 साल की उम्र या इससे ऊपर के बच्चों के लिए सुरक्षित है. हालांकि, गिलोय की खुराक दो सप्ताह से ज्यादा या बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं दी जानी चाहिए. अगर आप डायबीटीज की दवाई ले रहे हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह के इस जड़ी बूटी का सेवन नहीं करना चाहिए. गिलोय कब्ज और कम रक्त शर्करा की समस्या भी पैदा कर सकता है. गर्भवती महिलाओं को इसके इस्तेमाल के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
Giloi yani ayurved ki amrit