अयं यज्ञ: विश्वस्य भुवनस्य नाभि:
सत्य सनातन वैदिक संस्कृति में यज्ञ को सृष्टि के सृजन व संचालन में अति महत्वपूर्ण बताया गया है.
अग्नि के समाने होते मंत्रोचारण के बाद स्वाहा से गूंजता घर और मंदिर, यज्ञ का संकेत देता है. स्वाहा कहकर अग्नि में डाली गई सामग्री से शुद्ध होता वातावरण, जीवन को प्रकाश की तरफ ले जाता है. पवित्र मंत्र और अग्नि से निकलते पवित्र धुएं से सकारात्मक ऊर्जा फैलती है जो सबकी सोच को सकारात्मक बनाती है.
हवन में उत्पन्न होती अग्नि, जीवन को अंधकार से उजाले में ले जाती है साथ ही साथ अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाती है. युगों से चली आ रही ये परंपरा मन और आत्मा दोनों को शुद्ध रखती है. हिन्दू समाज में अग्नि को सबसे पवित्र चीज मानी जाती है.
ऋग्वेद (दुनिया की सबसे पुरानी वेद) में लिखा सबसे पहला शब्द ‘अग्नि’ साफ़ बताता है कि अग्नि पवित्रता का द्योतक है. हमारे पूर्वजों ने हमे जो संस्कृति दी है बहुत सोचसमझ कर दी है. हवन जैसी परंपरा देकर हमारे जीवन को बिमारियों से दूर रखने के लिए बहुत सरल उपाय दिया है.
जब वैज्ञानिकों ने इसपर गौर किया तो खुद वे भी भौचक्का रह गए. समय-समय पर विज्ञान ने वेदों की बातें नहीं मनी और उसपर खोज की है, हर खोज में कुछ नया और अच्छा मिला जो ये बताता है की हमारे पूर्वज और वेद आज के नए दौर से भी कई ज्यादा आगे थे.
विज्ञान का रिसर्च
- लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट के द्वारा किए गए परिक्षण में सामने आया की हवन में इस्तेमाल होनेवाली सामग्री से हवा में मौजूद बीमारी फ़ैलाने वाले कीटाणु मर जाते हैं.
- ‘डॉ एम त्रिल्ट’ ने हवन में किशमिश डालने पर खोज की तो उन्होंने पाया की ये हवा में मौजूद टाइफाइड फ़ैलाने वाले कीटाणु को 30 मिनट में मार डालती है.
- पुणे यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रहे अमेरिका के मनोविज्ञानी ‘बैरी राथ्नेर’ ने पाया की हवन पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक है और साथ ही इंसान के दिमाग पर अच्छा प्रभाव डालती है.
- 4. फ्रेंच वैज्ञानिक ‘तिल्वेर्ट’ का कहना है की हवन में गुड के इस्तेमाल से हवा स्वच्छ होती है और वो सारे बैक्टीरिया मरते हैं जो मेज़िल्स, कॉलरा और डीके जैसी खतनाक बीमारियाँ फैलाते हैं.
- डॉ कुंदन लाल (एम.डी इन एलोपैथिक मेडिसिन) ने अपने खोज में पाया की सिर्फ एक किलो आम की लड़की जलाने से हवा में मौजूद कीटाणु नहीं मरते लेकिन उसमे हवन सामग्री मिलाने से 94% हवा में मौजूद कीटाणु मर जाते हैं और 24 घंटे बाद भी वहां की हवा 96% बैक्टीरिया मुक्त रहती है.
ज़रूरी बातें
हवन करते वक्त आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए.
हवन में सिर्फ आम, पीपल और धाक की लकड़ी का इस्तेमाल करे.
हवन के लिए हमेशा घर का केंद्र या मध्य स्थान चुने.
सामग्री, घी, पानी, कपूर, और सुखी धुप ये सामान हवन के लिए ज़रूरी होते है.
जब हम हवन की बात करते हैं तो हमे ये पता होना चाहिए की हवन में आम की लकड़ी का प्रयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि वो फोरमिक एल्डिहाइड नाम की गैस बनाता है जो हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को मार कर हवा को सांस लेने लायक बना देता है.
गुड भी आग में जल कर फोरमिक एल्डिहाइड गैस बनाता है. जो मंत्र हवन के वक़्त बोले जाते हैं वो एक सकारात्मक कंपन पैदा करते हैं जो सकारात्मक सोच रखने में मदद करती है. उसी तरह जब हवा हवन के पवित्र आग से टकराती है तो वो शुद्ध और हल्की हो जाती है. हल्की होने के बाद ये अशुद्ध हवा को हटाकर उसकी जगह ले लेती है.