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भारत के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक, केरल नौका दौड़ महोत्सव केरल राज्य की समृद्ध परंपरा और विविध संस्कृति को सामने लाता है. यह केरल में सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है, और हर साल आयोजित किया जाता है. केरल नाव उत्सव केरल के लोगों द्वारा किसी भी जाति और धर्म के बावजूद महान उत्साह के साथ मनाया जाता है. अंबलाप्पुजा चंपककुलाम मुलम केरल में एक प्राचीन नाव (वल्लम काली) की दौड़ है पौराणिक कथायों के मुताबिक, इस मंदिर में जो कृष्णा की मूर्ति की स्थापना हो रही थी, वह अशुभ थी,जिसके बाद करिकुलम मंदिर से एक अन्य मूर्ति मंगाई गयी और उसकी स्थापना की अरणमुला के मंदिर में गयी. चंपककुलाम मुलम नाव की दौड़ केरल में ओणम त्योहार के दौरान आयोजित की जाती है.
केरल में नौका दौड़ त्यौहार लोकप्रिय रूप से वेलोम कैलीज के नाम से जाना जाता है. यह हर साल राज्य के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होते हैं, और हजारों लोग इसमें भाग लेते हैं. कुछ लोकप्रिय स्थान जहां केरल नौका दौड़ त्यौहार या स्नेक नाव दौड़ आयोजित किया जाता है, कोट्टायम के पास थायाथंगाडी, पंबा नदी पर अरनमुला और क्लिओन के पास पापियाद हैं. ओणम के महान फसल त्यौहार को चिह्नित करने के लिए ये नाव दौड़ आयोजित की जाती हैं.
नेहरू ट्रॉफी बोट रेस शायद केरल में नाव त्यौहारों में से सबसे बड़ा है. हजारों लोग इस त्योहार के लिए तत्पर हैं. यह त्यौहार आलप्पुषा में आयोजित होता है और यह स्थान पुणनामदा झील है. प्रतिभागियों ने अपनी नावों को सजाने के लिए विभिन्न आकारों की सजावट करते है, और दूसरे के साथ पूरी तरह से पंक्तिबद्ध करने की कोशिश करते है. चंपकुलम मुलम बोट रेस भी एक और लोकप्रिय केरल नाव त्यौहार है. यह राज्य में सबसे पुरानी स्नेक नाव दौड़ है. यह मलयाहम के मलयालम महीने के मूल दिन चंपकुलम झील पर आयोजित होता है और अंबलप्पुषा में श्रीकृष्ण मंदिर के देवता की स्थापना के लिए समर्पित है.
बताया जाता है कि राजाओं के ज़माने में सामरिक आवश्यकताओं की दृष्टि से नावों का बहुत महत्व था. उन दिनों लडाई प्राय: जल में होती थी. युद्ध में काम आनेवाले नौकायन ने कालक्रम में नौका-दौड की स्पर्धा का रूप ले लिया. कुट्टनाडु की नावों का इतिहास बहुत पुराना है. करीब 400 साल पहले के, प्राचीन तिरुवितांकूर के चेंपकशेरी (अंबलप्पुष़ा), कायमकुलम्, तेक्कुंकूर ( चंगनाशेरी ), वटक्कुंकूर (कोट्टयम) आदि रियासतों (जो आज आलप्पुष़ा और कोट्टयम जिला में व्याप्त रहा है) के राजाअें के वीरचरित के साथ इनका संबंध रहता है. चेंपकशेरी की जलसेना को नाविक-शक्ति में उससे भी प्रबल प्रतिद्वन्द्वियों के सामने हार मानना पडा. बाद में राजा को यकीन हुआ कि युद्ध में भाग लेनेवाली उनकी नावों की अक्षमता ही पराजय का कारण है. इस कमी को पूरा करने के लिए राजा ने नाव-निर्माण में निपुण देश के सभी नाव-शिल्पियों (तच्चन=बढ़ई) को बुलाकर महत्तर किस्म की युद्ध-नौकाओं को बनाने की अपनी इच्छा प्रकट की. ऐसी बढिया नाव जो लड़ाई के समय पानी में तेज़ आगे बढ़ाने में समर्थ है. कई दिनों के कठिन प्रयास के बाद नाव बनाने में नामी कोडुप्पना वेंकिट्ट नारायणन् आशारी ने नौके का एक नमूना राजा को दिखाया. सौ से अधिक योद्धाओं को लेकर तेज़ रफ्तार में आगे बढ़ने की ताकत उस नाव में थी. यही नहीं, ईल नामक मछली के आकार से सादृश्य रखनेवाली यह नौका, किनारों में स्थित पेडों की, पानी की तरफ झुकी रहनेवाली झाडियों के पीछे छिपाने में तथा दुश्मनों की नावों पर चुपके से हमला करने में सर्वथा सक्षम थी. इससे खुश होकर राजा ने उस समर्थ बढ़ई को कई पुरस्कार देकर सम्मानित किया. आगे की सभी लड़ाइयों में चेंपकशेरी राज्य की जीत हुई.
दक्षिण भारत की प्रमुख नाव रेस
अरणमुला नौका रेस: केरल की सबसे प्राचीन नौका रेस है अरणमुला नौका रेस. ओणम के मौके पर अरणमुला नाम की जगह पर यह रेस आयोजित की जाती है. यह रेस अपने रोमांच के लिए दुनिया भर में मशहूर है. यह रेस पम्पा नदी में होती है.
नेहरू नौका रेस : केरल स्थित अलपुझा की पुन्नमडा झील में नेहरू नौका रेस का आयोजन हर साल अगस्त के महीने में किया जाता है. इस रेस में काफी संख्या में सर्प नौकाएं शामिल होती हंै, जिन्हें देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं.
पयप्पड़ नौका रेस : नेहरूनौका रेस के बाद केरल की और भारत की सबसे बेहतरीन नौका रेस है पयप्पड़ नौका रेस. इसका आयोजन केरल के अलपुझा में पयप्पड़ नदी में होता है.
चम्पाकुलम नौका रेस : केरल राज्य की सबसे लोकप्रिय नौका रेस है चम्पाकुलम नौका रेस. इस रेस में नाविकों के शानदार व रोमांचक करतबों के साथ ही अद्भुत शोभायात्रा भी देखने को मिलती है.
Keral ka nauka race