Kite: हमने कल ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया है। सूर्य के उत्तरायण होने का और पतंग उड़ाने का बहुत पुराना नाता है। आसमान में रंग बिरंगी पतंगों को उड़ाना और फिर एक दूसरे की पतंगों को कनखी देकर काटने का अपना अलग ही मजा है। भारत में त्यौहार भले ही कोई भी हो पर सबका एक ही पर्याय है और वो है पतंगबाजी। इन पतंगों का आनंद तो आपने खूब लिया होगा लेकिन क्या कभी सोचा है कि हमारे यहां सबसे पहले कब और किसने पतंग उड़ाया होगा। वैसे तो पतंग को उड़ाने का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य या लिखित वृतांत उपलब्ध नहीं है लेकिन हां एक बात तो तय है कि यह परंपरा कोई आज की नहीं बल्कि सदियों पुरानी है। आइए देखते हैं इतिहास क्या कहता है पतंग के बारे में।
पतंग का इतिहास
भारत में पतंगबाजी का खेल तो सदियों पुराना है ही साथ में काफी प्रसिद्ध भी है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग अवसरों पर पतंग उड़ाने की परंपरा है। जितने रंग है पतंगों में उनसे कुछ कम नहीं है हमारी संस्कृति में। पतंग से संबंधित इतिहास को खंगालने पर पता चलता है कि यह लगभग 2000 साल पुराना है। कहते हैं पतंग उड़ाने का सबसे पहले लिखी जानकारी चीन के हान राजवंश में मिलती है। लेकिन इस साक्ष्य को लेकर दुनिया में एकमत का अभाव है। कुछ लोगों का मानना है कि चीनी यात्री “फाहियान” और “हुयेनसांग” भारत में पतंग को लेकर आए थे। पतंग को चाहे जो कोई भी हमारे देश लेकर आया हो। बात इतनी है कि हजारों साल पुराने इस पतंगबाजी के खेल में मजा बहुत आता है। हमारे देश में अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग अवसरों पर पतंग उड़ाए जाते रहे हैं। आइए देखते हैं कि भारत में कब-कब पतंगें उड़ाई जाती है।
भारत में कब और कहां उड़ती है पतंगें
जैसा कि आप जानते हो, भारत विविधताओं से भरा देश है। अनेक रंग, अनेक भाषा लेकिन हां दिल एक है। हम भारतवासी सभी त्यौहारों को पूरे दिल से मनाते हैं। त्यौहारों के रंग हमारी जिंदगी में भी रंग भरते हैं, जिसका एक उदाहरण हैं पतंगबाजी। पंजाब के क्षेत्र में वसंत पंचमी पर बसंत पतंग महोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इसमें लोग एक दूसरे से पतंगों की प्रतियोगिता रखते हैं और खूब मजे करते हैं। जीत का फैसला करने के लिए जज भी बनाया जाता है। रंगीन पतंग, रंगीन खुशियां भी लेकर आता है।
भारत के पश्चिमी हिस्से में मकर संक्रांति यानी कि उत्तरायण पर पतंगोत्सव को तो पूरी दुनिया जानती है। इसका लुत्फ लेने के लिए गुजरात जैसे राज्यों में बकायदा बड़े आयोजनों की व्यवस्था होती है जिसमें देशी-विदेशी सभी सैलानी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। गुजरात के इस पतंगोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी कहते हैं। देश के दक्षिणी भाग में पोंगल पर पतंग को उड़ाया जाता है। वैसे तो यह भी उत्तरायण का ही पर्व है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस पर पतंग उड़ाने का चलन है। इस दिन पूरी दिल्ली का आसमान आपको रंग-बिरंगी पतंगों से पटा मिल जाएगा। बच्चे, नौजवान, बूढ़े सब आपको अपनी छत पर देशभक्ति गानों के साथ पतंगबाजी करते दिख जाएंगे। रंग चाहे जो कुछ भी हो पर पतंग एक है, खुशियों और उत्साह का प्रतीक।