India’s First Museum: वैसे तो हम सभी ने बचपन में ही संग्रहालय अथवा म्यूजियम के बारे में जरूर सुना या पढ़ा होगा। हम जानते भी होंगे कि संग्रहालय वह स्थान है जहां हमारी सभ्यता और संस्कृति के विभिन्न् साक्ष्य रूपी आयामों को सहेज कर रखा जाता है। संग्रहालय ना केवल हमारी वर्तमान पीढ़ी को अपने इतिहास की जानकारी देता है बल्कि यह हमारे मनुष्य के जीवन के मर्म को अपने में समेट कर भी रखता है। आज इसी कड़ी में हम आपको अपने देश भारत के उस संग्रहालय की सैर कराएंगे, जहां से आधुनिक समय में हमारे इतिहास को समेटने और सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाने लगा।
दिल्ली से पहले भारत की राजधानी कलकत्ता हुआ करती थी। कहते हैं पूरे भारत में तब वहीं से आधुनिक शासन व्यवस्था चला करती थी। अब जब कलकत्ता ही राजधानी थी तो शहर और प्रशासन का विकास तो होना ही था। इसी विकास के क्रम में तय हुआ कि इस जगह पर एक ऐसी इमारत खड़ी की जाए, जहां पर आने वाली पीढ़ियों के लिए हम कल के और आज के साक्ष्य रख पाएं ताकि वह अपनी सभ्यता और संस्कृति को समझ पाएं।
जब आप कलक्त्ता जाएंगे तो वहां पर पार्क स्ट्रीट पर एक सफेद रंग की भव्य इमारत देखेंगे। यही है भारत का पहला संग्राहालय। जीं हां यह ना केवल भारत का प्रथम संग्रहालय है बल्कि भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय का दर्जा भी प्राप्त है। इसकी स्थापना 19वीं सदी की शुरूआत में की गई थी। यहीं से शुरू हुई भविष्य के संग्रहालयों की नींव।
इस भारतीय संग्रहालय में वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कलाकृतियों से जुड़ी लगभग 35 दीर्घाएं बनाई गई है, जो कि कुल छह खंडो में बंटी है। यहां पर आपको भारतीय कला, पुरातत्व, मानव शास्त्र आदि से जुड़ी चीजें दिख जाएंगी। यहाँ पर कला और इससे जुडी पुरातात्विक चीजों मिलेंगी।
कहां से आई संग्रहालयों की अवधारणा
वैसे तो संग्रहालय हमारे अतीत और विरासत को समझने और सीखने में मदद करते हैं। ये हमारे लिए एक शिक्षक के समान होते हैं जिनकी मदद से हम हमारे इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अब प्रश्न यह आता है कि आखिर इस संग्रहालय की अवधारणा कहां से आई होगी। जानकार बताते हैं कि संग्रहालय की अवधारणा यूनान से आई है। चौथी सदी के आसपास अलेक्जेंड्रिया में पहला संग्रहालय खोला गया था। बहुत से इतिहासकार इसे इराक से आया हुआ बताते हैं।
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