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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में पहली बार आयुष मंत्रालय 9 नवंबर 2014 को बनाया गया है. भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी विभाग मार्च 1995 में बनाया गया था और नवंबर 2003 में इस विभाग का नाम बदलकर आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी विभाग (आयुष) रखा गया. प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी प्रणाली में शिक्षा और अनुसंधान के विकास के दृश्य के साथ विशेष ध्यान प्रदान करने के लिए केंद्रित है.
आपके मन में सहज ही सवाल उठ सकता है कि जब स्वास्थ्य मंत्रालय है, तो आखिर आयुष मंत्रालय की जरूरत क्यों आ पड़ी? आइए हम बताते हैं आपको. असल में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में दवाओं और होम्योपैथी कॉलेजों के भारतीय सिस्टम में शिक्षा के स्तर को उन्नत करने के लिए के लिए इसका गठन किया. साथ ही माना गया कि मौजूदा अनुसंधान संस्थानों को मजबूत बनाने और एक समयबद्ध कार्यक्रम अनुसंधान सुनिश्चित करने के लिए पहचान रोगों पर इन प्रणालियों के लिए एक प्रभावी उपचार है. इसके साथ-साथ औषधीय पौधों के उत्थान के लिए और इन प्रणालियों में इस्तेमाल के लिए प्रोन्नति, खेती की योजनाएं तैयार करना भी इसका कार्य है. इसके अलावा, यह मंत्रालय चिकित्सा और होम्योपैथिक दवाओं के भारतीय सिस्टम के लिए भेषज मानक विकसित करने के लिए काम करेगा. अतीत और वर्तमान में इस मंत्रालय का कार्यभार श्रीपद येसो नाईक के पास है.
आयुष मंत्रालय ने ‘आयुष आपके द्वार’ नाम की एक योजना 2018 में बनाया, जिसके तहत आयुर्वेदिक तथा यूनानी अस्पताल के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवो में निःशुल्क चिकित्सा कैंप लगाए जा रहे है. संस्कृत में आयुष का अर्थ जीवन होता है. आयुष मंत्रालय, यूनेस्को के अंतर्गत योग को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में चिन्हित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय को सहयोग कर रहा है. सैन्य कर्मियों को योग का प्रशिक्षण देने के लिए, इस मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त निकाय- मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) ने अपने परिसर में 1 जनवरी 2015 से अर्द्ध सैन्य कर्मियों के लिए साढ़े तीन महीने की अवधि का ‘योग विज्ञान में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरू किया. आयुष मंत्रालय ने ‘पुलिस कर्मियों के लिए योग प्रशिक्षण’ नामक एक केंद्रीय योजना तैयार की. इसे 1 अप्रैल, 2015 देश के सभी जिलों में प्रारंभ किया गया.
इतना ही नहीं, आयुष मंत्रालय ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए देश भर में 40 गृह कल्याण केंद्रों में योग प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिए डीओपीटी को सहयोग प्रदान किया. एमडीएनआईवाई ने योग शिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की. विशेष तौर पर सांसदों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) के परिसर में 27 अप्रैल 2015 से 04 मई 2015 तक योग प्रभा भारती (सेवा संस्था) ट्रस्ट, मुंबई के सहयोग से समर्पण ध्यान योग शिविर आयोजित किया गया. शिविर का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने किया था. श्रीपद नाइक, आयुष मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की थी. शिविर में कई सांसदों और उनके परिवार के सदस्यों, अति विशिष्ट व्यक्तियों, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
आयुष मंत्रालय के अनुरोध पर भारत के गुणवत्ता नियंत्रण ने योग व्यवसायियों के लिए स्वैच्छिक प्रमाणीकरण योजना तैयार की है. इस योजना में शिक्षकों के रूप में या किसी अन्य नामकरण द्वारा योग पाठ कक्षाएं उपलब्ध कराने की योग व्यवसायियों की क्षमता प्रमाणित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि यह अन्य बातों के साथ-साथ आयुष अस्पतालों और औषधालयों की संख्या बढ़ाने, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और जिला अस्पतालों (डीएच) में आयुष सुविधाओं स्थापित करने, आयुष औषधियों एवं प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के माध्यम से आयुष सेवाओं तक बेहतर पहुंच की परिकल्पना करता है. उन्नत शैक्षिक संस्थानों की संख्या में वृद्धि के माध्यम से आयुष शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना, गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की निरंतर उपलब्धता और फार्मेसियों की संख्या में वृद्धि के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयू एंड एच) औषधियों की उपलब्धता को बेहतर बनाना, फार्मेसियों की संख्या बढ़ाना, एएसयू एवं होम्योपैथी दवाओं के प्रवर्तन तंत्र के लिए जिम्मेदार राज्यों में औषधि प्रयोगशालाओं की स्थापना करना भी इसके लक्ष्यों में शामिल है.
Ayush mantralya