भारतीय परिवेश और पर्यावरण के अनुकूल नीम एक ऐसा वनस्पति है, जो मानव जीवन की सुरक्षा करता है. भारत में नीम एक बहुत बड़ी औषधि है, जिसे कई हजारों वर्षों से उपयोग किया जा रहा है. आज के समय में बहुत सी अंग्रेजी दवाइयां नीम की पत्ती और उसके पेड़ से बनती है. एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं, वहां मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है? लेकिन, अब अन्य देश भी इसके गुणों के प्रति जागरूक हो रहे हैं. नीम हमारे लिए अति विशिष्ट व पूजनीय वृक्ष है. नीम के पेड़ पूरे दक्षिण एशिया में फैले हैं और हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं. विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है, जो मधुमेह से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है.

नीम को ग्रामीण औषधालय का नाम भी दिया गया है। यह पेड़ बीमारियों आदि से आजाद होता है और उस पर कोई कीड़ा-मकौड़ा नहीं लगता है. इसलिए नीम को आजाद पेड़ कहा जाता है. चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है.
निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत।
अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु ॥
अर्थात् नीम शीतल, हल्का, ग्राही पाक में चरपरा, हृदय को प्रिय, अग्नि, वाट, परिश्रम, तृषा, अरुचि, क्रीमी, व्रण, कफ, वामन, कोढ़ और विभिन्न रोगों को नष्ट करता है.

औषधीय गुणों से है भरमार

नीम के वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल, छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है, नीम के औषधीय गुणों को घरेलू नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व निरोगी बना जा सकता है. नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. नीम का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों के निवारण में सहायक है. नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मजबूत होते हैं और दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है.

नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और चमकदार होती है. नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं. यह खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है. जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहां मलेरिया नहीं फैलता है. माना जाता है कि नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं|

Neem jis sei kayi bimari ho jaati hai udhan chhu

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