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प्राकृतिक चिकित्सा कई चिकित्साओ से मिलकर बना है जैसे कि जल चिकित्सा,सूर्य चिकित्सा,मृदा चिकित्सा, आयुर्वेद, योग, आदि पद्धतियों से मिलकर बना है. ऐसा मानना है कि सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति यही है. इस चिकित्सा का मूल आधार यह है कि अगर आपका खान पान सही है तो आपको कोई बीमारी नहीं लग सकती. प्राकृतिक चिकित्सा एक चिकित्सा पद्धति ही नही बल्कि जीवन जीने की कला भीहै जो हमें आहार, निद्रा, सूर्य का प्रकाश, स्वच्छ पेयजल, विशुद्ध हवा, सकारात्मकता एवं योगविज्ञान का समुचित ज्ञान कराती है.
प्राकृतिक चिकित्सा क्यों ? प्राकृतिक चिकित्सा मानती है कि सभी रोग एक हैं, सबके कारण एक हैं और उनकी चिकित्सा भी एक है. रोगों का कारण है अप्राकृतिक खान-पान, अनियमित दिनचर्या एवं दूषित वातावरण.
बता दें कि प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी / naturopathy) एक चिकित्सा-दर्शन है. इसके अन्तर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य-लाभ का आधार है – ‘रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक शक्ति’. प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत अनेक पद्धतियां हैं जैसे – जल चिकित्सा, होमियोपैथी, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मृदा चिकित्सा आदि. प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलन में विश्व की कई चिकित्सा पद्धतियों का योगदान है; जैसे भारत का आयुर्वेद तथा यूरोप का ‘नेचर क्योर’.
प्राकृतिक चिकित्सा का इतिहास उतना ही पुराना है जितना स्वयं प्रकृति. यह चिकित्सा विज्ञान आज की सभी चिकित्सा प्राणालियों से पुराना है. अथवा यह भी कहा जा सकता है कि यह दूसरी चिकित्सा पद्धतियों कि जननी है. इसका वर्णन पौराणिक ग्रन्थों एवं वेदों में मिलता है, अर्थात वैदिक काल के बाद पौराणिक काल में भी यह पद्धति प्रचलित थी. आधुनिक युग में डॉ॰ ईसाक जेनिग्स (Dr. Isaac Jennings) ने अमेरिका में 1788 में प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग आरम्भ कर दिया था. जोहन बेस्पले ने भी ठण्डे पानी के स्नान एवं पानी पीने की विधियों से उपचार देना प्रारम्भ किया था. महाबग्ग नामक बोध ग्रन्थ में वर्णन आता है कि एक दिन भगवान बुद्ध के एक शिष्य को सांप ने काट लिया तो उस समय विष के नाश के लिए भगवान बुद्ध ने चिकनी मिट्टी, गोबर, मूत्र आदि को प्रयोग करवाया था और दूसरे भिक्षु के बीमार पड़ने पर भाप स्नान व गर्म व ठण्डे पानी के स्नान द्वारा निरोग किये जाने का वर्णन 2500 वर्ष पुरानी उपरोक्त घटना से सिद्ध होता है.
प्राकृतिक चिकित्सा के साथ-2 योग एवं आसानों का प्रयोग शारीरिक एवं आध्यात्मिक सुधारों के लिये 5000 हजारों वर्षों से प्रचलन में आया है. पतंजलि का योगसूत्र इसका एक प्रामाणिक ग्रन्थ है इसका प्रचलन केवल भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी है. प्राकृतिक चिकित्सा का विकास (अपने पुराने इतिहास के साथ) प्रायः लुप्त जैसा हो गया था.
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है, जिसका लक्ष्य प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्त्वों के उचित इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण समाप्त करना है. यह न केवल एक चिकित्सा पद्धति है बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक महत्त्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्त्वों के अनुरूप एक जीवन-शैली है. यह जीवन कला तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है. इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन, विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची व हलकी पकी सब्जियाँ विभिन्न बीमारियों के इलाज में निर्णायक भूमिका निभाती हैं. प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन व्यक्तियों एवं गरीब देशों के लिये विशेष रूप से वरदान है.
असल में पंचतत्र के नियमों का पालन कर रोगों से बचाव किया जा सकता है. दो बार खाना खायें, दो लीटर से ज्यादा पानी पीयें, दो बार प्रार्थना करें, दो घंटा व्यायाम करें, सप्ताह में एक दिन फल के साथ उपवास अवश्य करना चाहिए. गांधी जी भी प्राकृतिक चिकित्सा के समर्थक थें.
Logo ka jhukav badh raha hai prakitik chikitsya ki aur