President of India: भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कल शुक्रवार 3 नवंबर को नई दिल्ली में साइलेंट कन्वर्सेशन फ्रॉम मार्जिन्स टू द सेंटर नाम की एक कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और सांकला फाउंडेशन के द्वारा किया गया। यह प्रदर्शनी भारत सरकार के प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया। देश तथा विश्व में बाघ के स्थिति तथा उनके साथ प्रकृति संतुलन को लेकर जागरूक करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर की शुरूआत हुई थी।
कार्यक्रम के अवसर पर महामहिम् ने कहा कि दुनिया की 70 प्रतिशत बाघ भारत में पाए जाते हैं। इनकी आबादी में वृद्धि तथा वन्यजीवन में इनका संतुलन, में टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यानों के आसपास रहने वाले लोगों का विशेष योगदान है। उन्होंने टाइगर रिजर्व के आसपास रह रहे समुदाय के जीवन, विकास तथा संतुलन के लिए किए गए कार्यों की काफी सराहना की। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि इस प्रदर्शनी कलाकृतियों के माध्यम से टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले लोगों और जंगल तथा वन्यजीवों के बीच के बेहतर संबंधों को प्रदर्शित किया गया है।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है। इसके लिए समग्र एवं सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए, बल्कि मानवता के अस्तित्व के लिए भी हमें जनजातीय समुदायों के जीवन मूल्यों को अपनाना होगा। हमें उनसे सीखने की जरूरत है कि कैसे हम प्रकृति के साथ रहकर समृद्ध और सुखी जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित भौतिकवाद, क्रूर व्यावसायिकता और लालची अवसरवाद ने हमें एक ऐसा विश्व बना दिया है जहां जीवन के सभी पांचों तत्व व्यथित हैं।
राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन औ खाद्य तथा जल सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पारंपरिक और आधुनिक सोच को संतुलित करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी आवश्यकता की पहचान कर संरक्षण, अनुकूलन औ शमन से जुड़ी रणनीतियों को और भी मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें वन्य तथा उससे जुड़े लोग के अधिकार और स्थान से कोई भी उन्हें वंचित ना करें।