जीन्स- टी-शर्ट, वनपिस, हॉट पैंट-क्रॉप टॉप, पहनी लड़कियों के बीच अगर एक साड़ी पहने लड़की हो, तो हर कोई उस साड़ी वाली लड़की को ही देखता है. ऐसा इसलिए नहीं होता कि वह बहनजी लग रही होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि वह सभी लड़कियों से अलग और खूबसूरत दिख रही होगी. साड़ी हर लड़की की खुबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देती है.
साड़ी भारतीय संस्कृति की अनमोल पहचान है. भारत की हर महिला के आलमीरा में आपको साड़ी का भंडार जरुर मिलेगा. शादी, तीज-त्यौहार, पार्टी-फंक्शन जैसे खास अवसर पर साड़ी का पहनना शुभ माना जाता है. पुराने समय से चली आ रही संस्कृति भारत के रग-रग में है. साड़ी भी उन्ही संस्कृतियों में से एक है. रंग-बिरंगी साड़ियां हर किसी का मनमोह लेती है. कई अवसरों पर हिंदू धर्म में सिले हुए कपड़ांे को शुद्ध नहीं माना जाता है. साड़ी में किसी भी तरह की सिलाई नहीं होने के कारण यह सबसे पवित्र वस्त्र माना जाता है. करीब 5000 साल पुरानी इस संस्कृति के अवशेष सिंधु घाटी सभ्यता में भी मिलती है.
साड़ी को सात्विक वस्त्र माना जाता है, जिससे एक नारी सदाचारी और धर्मनिष्ठ रहती है. धार्मिक होने की वाजह से उसके भक्तिभाव उत्पन्न होता है. 6 से 9 मीटर लम्बी साड़ी शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में काफी मदद करती है. अब ये आप पर है की आप पश्चिमी सभ्यता अपना कर अपना नुकसान करना चाहते है या अपनी सभ्यता का दिया गया वरदान अपना कर अपने जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं.
मोटेतौर पर कह सकते हैं कि भारत में जितने राज्य हैं, यहां उतने तरह की साड़ियां भी हैं. आप जिस राज्य में जाएंगे, वहां एक अलग साड़ी और उसको पहनने का अलग तरीका देखने को मिलेगा. आप जितने अलग-अलग तरीके से साड़ी पहन सकते हैं, उतने अलग-अलग तरीके से किसी भी अन्य वस्त्र को नहीं पहन सकते.
साड़ी के फायदे
धरती पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ऊर्जा निकलती हैं. जब आप घर से बाहर निकलते हैं, तो लोगों की नजर आप पर होती है. पुरुष के मुकाबले स्त्रियों पर ज्यादा नजरें होती हैं. दूसरों की गलत नजर आप पर नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है, तो दूसरी तरफ तेज धूप से निकलने वाली रेडिएशन शरीर को नुकसान पहुचती है. ऐसे में आइए जानते हैं साड़ी पहनने के फायदे :
1. साड़ी हर नकारात्नक ऊर्जा को शरीर तक पहुंचने से रोकती है.
2. कमर से कसी साड़ी की प्लेट्स, एड़ी के पास साड़ी को फैलाने में मदद करती है, जिसके कारण पैरों को हवा का संचार बना रहता है.
3. कमर का जो हिस्सा ढका नहीं रहता है, उस जगह को वास्तु में ब्रह्मस्थान कहते हैं. इस जगह से जीवन शक्ति ऊर्जा प्राप्त होती है. साथ ही साथ ये शरीर को ठंडा रखती हैं.
4. पल्लु के प्लेट्स साड़ी को वायु संचार के लिए अव्वल बनती है.
5. दोनों हाथों का पल्लू से ढका होना 47 प्रतिशत इंसुलेशन(तापावरोधन) बढ़ा देती है.
6. सूती साड़ी गर्मियों में गर्मी से, तो ठंड में सर्दियों से बचाती है. इससे किसी भी तरीके से स्किन में जलन नहीं होती है.
7. रेशम की साड़ी जब शरीर से टकराती है, तो इलेक्ट्रिक एनर्जी बनती है जो दिमाग पर अच्छा प्रभाव डालती है.
8. साड़ी, धूप से निकलने वाली यु.वी. रेडिएशन को हमारे शरीर तक आने से भी रोकती है.
साड़ी के प्रकार
1. कान्जीवरम सिल्क साड़ी, कोंरद साड़ी, – तमिलनाडू
2. बनारसी- वाराणसी
3. तांत साड़ी, ढाकई जम्दारी साड़ी और बलुचरी साड़ी- पश्चिम बंगाल
4. बोम्कई साड़ी, सम्बलपुरी साड़ी- ओडिशा
5. बंधनी साड़ी, पटोला साड़ी- गुजरात
6. पैठनी साड़ी- महाराष्ट्र
7. मुगा साड़ी- असम
8. फुलकारी साड़ी- पंजाब
9. लहेरिया साड़ी और कोटा साड़ी- राजस्थान
10. भागलपुरी साड़ी- बिहार
11. म्य्सोरे सिल्क साड़ी- कर्नाटका
12. कसाव साड़ी- केरला
13. चिकनकारी साड़ी- लखनऊ
14. कंठ स्टिच साड़ी- पश्चिम बंगाल और ओडिशा
15. सोनेपुरी, बोंकई साड़ी- सबर्नापुर जिला
16. जमवार साड़ी- कश्मीर
Saadi pehnne se badhti hai sundarta or swasthya