श्री भगवद्गीता में 700 श्लोक हैं जिसमें से 574 भगवान श्रीकृष्ण जी ने कहे हैं और 75 अर्जुन ने कहे हैं और बाकी संजय और धृतराष्ट्र ने कहे हैं।
भगवान ने संपूर्ण वेदों पुराणों का सार एक ही जगह लाकर भगवद्गीता के माध्यम से संसार को गीता के रूप में दिया ।यह भारतीय वांग्मय में का बहुत ही अनूठा ग्रंथ है। इस छोटे से ग्रंथ में मानव धर्म का महान तत्व स्पष्ट शब्दों में व्यक्त किया गया है।
भारत और विश्व के विभिन्न विचारकों के गीता के बारे में विचार:-
महर्षि अरविंद
श्रीमद् भगवद्गीता मानव जाति का एक शाश्वत शास्त्र है यह प्रत्येक काल एवं प्रत्येक सभ्यता को नया संदेश देती है
डॉ मदन मोहन मालवीय
मेरी जानकारी के अनुसार विश्व के साहित्य की पूरी श्रृंखला में कोई भी पुस्तक इतनी ऊपर नहीं है जितनी भगवद्गीता, जो न केवल हिंदुओं के लिए बल्कि सभी मानव जाति के लिए धर्म का खजाना है।
महाराजा रणजीत सिंह
अंतिम समय आने पर महाराजा श्री रणजीत सिंह की इच्छा अनुसार पवित्र श्री भगवद्गीता को उनके वक्ष स्थल पर रखा गया ।
दारा सिकोह( शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र)
गीता सत्य का पथ निर्देशन तथा भेदभाव दूर कराने वाली आनंद दायिनी एवं विलक्षण कृति है।
पंडित श्रीपाद दामोदर सातवलेकर
श्रीमद् भागवत गीता एक अनुपम ग्रंथ है इस छोटे से ग्रंथ में मानव धर्म का महान तत्व स्पष्ट शब्दों में व्यक्त किया गया है।
श्री माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर
समूचे विश्व ज्ञान का तत्व गीता में है जो गीता में नहीं है कहीं नहीं।
डॉक्टर सर सुब्रमण्यम अय्यर
भगवद्गीता उस दिव्य संदेश का इतिहास है जो सदा सदा से आर्य जाति का जीवन प्राण रहा है ।
डॉ एस राधाकृष्णन
श्रीमद् भगवद्गीता जो ज्ञान प्रदान करती है उसे मनुष्य परिपूर्णता को प्राप्त कर सकता है ।
साध्वी ऋतंभरा जी
गीता माता हमें शक्ति देती है युद्ध करने के लिए। युद्ध बाह्य ही नहीं होता ,आंतरिक भी होता है ।कोई यदि आंतरिक युद्ध में निष्णात होने की कला सीखना चाहता है तो उसे भगवद्गीता के अलावा कोई आश्चर्य नहीं हो सकता ।भगवान कृष्ण के द्वारा गाए गए गीत गीता की विरासत भी हमें अपने बच्चों को देनी चाहिए।
श्री सुधांशु जी महाराज
गीता नायक भगवान कृष्ण को एक शीर्षक में नहीं बांधा जा सकता। वह संपूर्णता के प्रतीक हैं। जैसे चींटी हिमालय की परिक्रमा नहीं कर सकती वैसे ही कृष्ण को पूर्ण रूपेण समझना नामुमकिन है। जैसे धूप को नहीं पकड़ा जा सकता है ,वैसे ही कृष्ण के स्वरूप को जानना संभव नहीं है। पुरानी मान्यताओं को नया रूप दिया ।उन्होंने हर समस्या का समाधान कृष्ण है।
श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर
गीता गोविंद की डायरी है ।पद्मनाभ भगवान के मुख से निस्सृत गीता जीवन जीने का ग्रंथ है ।इसके पास हर समस्या का समाधान है। भक्ति, ज्ञान, कर्म का इतना सुंदर वर्णन भगवान ने गीता में किया है वह अद्भुत है, वंदनीय है ।गीता साक्षात कृष्ण है, गोविंद है ।उसे ग्रंथ इसलिए कहते हैं कि इससे ऊंचा शब्द हमारे पास नहीं है ।यह वेदादि
शास्त्रों का सार है ,उपनिषदों का सार है।
मुरारी बापू
भगवद्गीता सांप्रदायिक ग्रंथ नहीं है। यह सर्वभूत, सार्वकालिक ग्रंथ है
सर्व शास्त्र, वेदादि शास्त्रोंपासक, गीता मनीषी, वेदांत प्रतिपादक स्वामी श्री गोविंद दास गिरी जी महाराज (यह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संयोजक हैं )
यह कहते हैं भगवद्गीता पूरे विश्व का ग्रंथ है। गीता का चिंतन मनुष्य के जीवन का उत्थान करने वाला अनूठा ग्रंथ है ।इतने ज्ञान का सार प्राप्त करने वाला पूरे विश्व में कोई ग्रंथ नहीं है । भगवद्गीता का ग्रंथ यह एकमत या संप्रदाय या समाज धर्म का नहीं है। यह सर्वकालिक ग्रंथ है। वेदों को समझना इतना आसान नहीं है पर भगवद्गीता को समझना इतना कठिन भी नहीं है।
राघवाचार्य जी महाराज
भगवद्गीता वेदांत उपनिषदों का सार है। गीता के तत्वों को जो आत्मसात करते हैं ,वे सद्बुद्धि वाले ,शुद्ध बुद्धि वाले लोग हैं। भगवान कहते हैं भगवद्गीता का यदि किसी ने किंचित भी पढ़ लिया तो उसने अमृत का पान कर लिया। भगवत तत्व का ज्ञान करना ही भगवद्गीता का मुख्य उद्देश्य है। गीता के 700 लोगों की व्याख्या लाखों श्लोकों में की गई पर अभी तक उसके सारे रहस्यों को कोई भी नहीं खोल पाया। गीता कर्म के त्याग का उपदेश नहीं करती पर कर्म फल के त्याग का उपदेश करती है। इससे तुम किसी भी प्रकार के बंधन में नहीं पड़ोगे। गीता की बड़ी महिमा है। हम भारतवासियों के पास इतना बड़ा खजाना है, भगवान कृष्ण की अमृतमयी वाणी । पश्चिम के विचारक थोरो ने कहा कि सारा पश्चिमी जगत जिस अपने विज्ञान पर गर्व करते हैं जब वह विज्ञान की लकड़ी के अंतिम छोर तक पहुंचेंगे तो वहां पर भारत का बूढ़ा ऋषि पहले ही बैठा हुआ मिलेगा। जहां विज्ञान रुकेगा भारत का ऋषि वहां से शुरू होता है। उसी थोरो ने अपनी पुस्तक वाल्डयेन में कहा है कि हर सुबह में गीता के भव्य अद्भुत ब्रह्मव्यापी तत्वविद्या में अपनी बुद्धि को स्नान करता हूं तो नया हो जाता हूं, अद्भुत शक्ति का अनुभव करता हूं।
गीता का वैभव अतुल्य है क्योंकि यह भगवान के हृदय से निकला गीत है। यह जगत के हित के लिए भगवान ने दी है। सभी प्रश्नों का उत्तर भागवत गीता में है ।भगवान ने कहा है कि जो मेरी उपासना आराधना करते हैं उनको मैं सर्वस्व देता हूं, संसार में भी संसार के बाद भी और यह ग्रंथ किसी विशेष संप्रदाय के लिए नहीं है। यह सर्वकालिक, सार्वभौमिक ग्रंथ है।
लेखिका- रजनी गुप्ता