Home Home-Banner तटरक्षक बल में महिला अधिकारियों के स्थाई कमीशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट...

तटरक्षक बल में महिला अधिकारियों के स्थाई कमीशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार

3289

बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने तटरक्षक बल में महिला शॉर्ट सर्विस अपॉइंटमेंट से जुड़े एक केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा तटरक्षक बल में महिला को स्थायी कमीशन से बाहर रखने के  फैसले की आलोचना की और साथ ही  भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा जी ने कहा कि जब भारतीय सरकार सेना – नौसेना में महिलाओं को कमीशन दे रही है तो तटरक्षक बल इसमें पीछे क्यूं रहे ?

उन्होंने कहा कि आप नारी शक्ति की बात करते है तो उसे यहाँ भी दिखाइए|  बताइए कि  फिर तटरक्षक बल महिला अधिकारी लाइन से बहार क्यों रहे ? क्या आपने बबिता पुनिया केस से जुड़ा फैसला नहीं पढ़ा है, जिसमें महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी और पुरूष अधिकारी को समान स्थाई कमीशन का हकदार माना गया है। इस पर सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि तटरक्षक बल सेना – नौ-सेना के मुकाबले बहुत अलग काम करते है। जिसपर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए पूछा कि तट-रक्षक बल में महिला अधिकारी को कमीशन क्यों नहीं दिया जा सकता, साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि नौसेना में महिलाएं है तो कोस्ट गॉर्ड में ऐसा क्या खास है?  कोर्ट ने यह भी कहा कि वो समय चला गया जब हम बोलते थे कि महिलाएं तट-रक्षक नहीं बन सकती। जब महिलाएं सीमा की रक्षा  कर सकती है तो तटों की क्यों नहीं?

आपको बता दें कि बबीता पुनिया केस 2020 से जुड़े अपने फैसले में अदालत ने माना था  कि समाज अपनी परंपरागत सोच को मानता आ रहा है कि महिलाएं पुरुष के मुकाबले शारीरिक रूप से कमजोर होती है। लेकिन अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी साफ हिदायत दी थी कि शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिला पुरुष के मुकाबले समान हक रखती है। इन्हें भी स्थायी कमीशन में शामिल होने का पूरा अधिकार है।

और पढ़ें-

हमारे वृक्ष और वनस्पतियां

सदियों से इस्तेमाल में आने वाले गुलकंद के हैं कई फायदे, जानिए विस्तार से

भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में क्या है खास ? जानें विस्तार से

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here