Home टॉप स्टोरीज तबले की थाप पर झूमे पूरी दुनिया

तबले की थाप पर झूमे पूरी दुनिया

6112

टीम हिन्दी

कहा जाता है कि तबला हज़ारों साल पुराना वाद्ययंत्र है किन्तु नवीनतम ऐतिहासिक वर्णन में बताया जाता है कि 13वीं शताब्दी में भारतीय कवि तथा संगीतज्ञ अमीर ख़ुसरो ने पखावज के दो टुकड़े करके तबले का आविष्कार किया। इसके दो भागों को क्रमशः तबला तथा डग्गा या डुग्गी कहा जाता है। तबला शीशम की लकड़ी से बनाया जाता है। तबले को बजाने के लिये हथेलियों तथा हाथ की उंगलियों का प्रयोग किया जाता है। तबले के द्वारा अनेकों प्रकार के बोल निकाले जाते हैं।

माना जाता है कि तबला नाम संभवतः फारसी और अरबी शब्द ‘तब्ल ’ से उत्प़न्नक हुआ है जिसका अर्थ ड्रम (Drum) (ताल वाद्य) होता है। तथा कुछ विद्वानों का मत यह भी है कि तब्ले अरबी शब्द नहीं है, बल्कि इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘तबुला’ से हुई है। हालांकि, इस वाद्य की वास्तविक उत्पत्ति विवादित है। जहाँ बहुत से लोगों की यह धारणा है कि इसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में मुगलों के आने के बाद में पखावज (एक वाद्ययंत्र) से हुई है तो वहीं कुछ विद्वान् इसे एक प्राचीन भारतीय परम्परा में उपयोग किये जाने वाले अवनद्ध वाद्यों का विकसित रूप मानते हैं, और कुछ लोग इसकी उत्पत्ति का स्थान पश्चिमी एशिया भी बताते हैं। परंतु भाजे (Bhaje) की गुफाओं में की गई नक्काशी, तबले की भारतीय उत्पत्ति का एक ठोस प्रमाण प्रस्तुत करती है। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में वर्णित विचारों को दो समूहों में बाँटा जा सकता है:

तुर्क-अरब उत्पत्ति

पहले सिद्धांत के अनुसार औपनिवेशिक शासन के दौरान इस परिकल्पना को काफी बढ़ावा मिला कि तबले की मूल उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण करने वाली मुस्लिम सेनाओं के साथ चलने वाले ड्रम से हुई है। ये सैनिक इन ड्रमों को पीट कर अपने दुश्मनों को हमले की चेतावनी देते थे। बाबर द्वारा सेना के साथ ऐसे ड्रम लेकर चलने को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, हालाँकि तुर्क सेनाओं के साथ चलने वाले इन वाद्ययंत्र की तबले से कोई समानता नहीं है बल्कि ये “नक्कारा” (भीषण आवाज़ पैदा करने वाले) से काफी समानता रखते हैं।

अरब सिद्धांत का दूसरा संस्करण यह है कि अलाउद्दीन खिलजी के समय में, अमीर ख़ुसरो ने “आवाज ड्रम” (तालवाद्य) को काट कर तबले का आविष्कार किया था। परंतु प्रश्न यह उठता है कि यदि उस समय तक तबले का आविष्कार हो चुका था तो मुस्लिम इतिहासकारों के विवरणों में ऐसे किसी वाद्ययंत्र का उल्लेख क्यों नहीं किया गया है। यहां तक कि 16वीं शताब्दी में अबुल फ़जल ने आईन-ए-अकबरी में तत्कालीन वाद्ययंत्रों की लंबी सूची बनाई है, लेकिन इसमें भी तबले का कोई ज़िक्र नहीं है।

अरब सिद्धांत का तीसरा संस्करण यह है कि तबले के आविष्कार का श्रेय 18वीं शताब्दी के संगीतकार अमीर खुसरो को दिया गया है। कहा जाता है कि अमीर खुसरो ने पखावज को दो टुकड़ों में बांट कर तबले का आविष्कार किया। यह पूरी तरह से अनुचित सिद्धांत नहीं है, और इस युग के लघु चित्रों में ऐसे वाद्ययंत्र दिखते हैं जो तबले की तरह दिखाई देते हैं। हालाँकि, इससे यह प्रतीत होता है कि इस वाद्ययंत्र की उत्पत्ति भारतीय उपमहादीप के मुस्लिम समुदायों द्वारा हुई थी, न कि यह अरब देशों से आयातित वाद्ययंत्र है।

भारतीय उत्पत्ति

भारतीय उत्पत्ति के सिद्धांत के अनुसार इस संगीत वाद्ययंत्र ने मुस्लिम शासन के दौरान एक नया अरबी नाम प्राप्त किया था, लेकिन यह प्राचीन भारतीय ‘पुष्कर’ का विकसित रूप है। पुष्कर वाद्य के प्रमाण छठी-सातवीं सदी के मंदिर उत्कीर्णनों में, ख़ासतौर पर मुक्तेश्वर और भुवनेश्वर मंदिरों में प्राप्त होते हैं। इन कलाकृतियों में वादक दो या तीन अलग-अलग तालवाद्यों को सामने रख कर बैठे दिखाए गए हैं। हालाँकि, इन कलाकृतियों से यह नहीं पता चलता कि ये वाद्ययंत्र किन पदार्थों से निर्मित हैं।

तबले की सामग्री और निर्माण के तरीके के लिखित प्रमाण संस्कृत ग्रंथों में उपलब्ध हैं। तबले जैसे वाद्ययंत्र के निर्माण सम्बन्धी सबसे पुरानी जानकारी और इसको बजाने से सम्बंधित विवरण हिन्दू नाट्य शास्त्र में मिलता है। वहीं, दक्षिण भारतीय ग्रंथ, शिलप्पदिकारम (जिसकी रचना प्रथम शताब्दी ईसवी मानी जाती है) में लगभग तीस ताल वाद्यों का विवरण है।

ताल और तालवाद्यों का वर्णन वैदिक साहित्य से ही मिलना शुरू हो जाता है। हाथों से बजाये जाने वाले वाद्य यंत्र पुष्कर के प्रमाण पाँचवीं सदी में मिलते हैं जो मृदंग के साथ अन्य तालवाद्यों में गिने जाते थे, हालाँकि, तब इन्हें तबला नहीं कहा जाता था। पांचवीं सदी से पूर्व की अजंता गुफाओं के भित्ति-चित्रों में ज़मीन पर बैठ कर बजाये जाने वाले ऊर्ध्वमुखी ड्रम देखने को मिलते हैं, यहां तक कि एलोरा की प्रस्तर मूर्तियों में भी बैठकर ताल वाद्य बजाते हुए कलाकारों को दिखाया गया है। पहली सदी के चीनी-तिब्बती संस्मरणों में कई अन्य वाद्ययंत्रों के साथ छोटे आकार के ऊर्ध्वमुखी ड्रमों का उल्लेख मिलता है जो कि बौद्ध भिक्षुओं (जिन्होंने उस समय में भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया था) द्वारा लिखे गए थे। पुष्कर को तिब्बती साहित्य में ‘जोंग्पा’ कहा गया है। कई प्राचीन जैन और बौद्ध धर्म के ग्रंथों जैसे समवायसूत्र, ललितविस्तार और सूत्रालंकार इत्यादि में पुष्कर नामक तालवाद्य के विवरण देखने को मिलते हैं।
तबले को बजाने के लिये हथेलियों तथा हाथ की उंगलियों का प्रयोग किया जाता है। इसके छह घराने अजराड़ा, पंजाब, लखनऊ, दिल्ली, फर्रुखाबाद और बनारस हैं। सबसे बड़ी बात यह कि तबले की साधना सबसे ज्यादा लखनऊ घराने में होती हैं। लखनऊ में तबला उस्ताद आबिद हुसैन, उस्ताद वाजिद खलीफा आदि प्रमुख रहे हैं, जिन्होंने इसे एक नयी पहचान दी है। इस घराने में हथेली के पूर्ण उपयोग के अलावा, अंगुलियों, प्रतिध्वनित ध्वनियों, और स्याही का उपयोग सिखाया जाता है, साथ ही साथ यहां दयान (तिहरा ड्रम) पर छोटी अंगुलियों का उपयोग भी सिखाया जाता है। यह घराना भी दिल्ली घराने की ही एक विकसित शाखा है। लखनऊ के नवाबों के बुलावे पर दिल्ली घराने के दो भाई मोदु खां और बख्शू खां को लखनऊ भेजा गया तो इन्होने यहां अपने प्रयासों से एक नयी शैली उत्पन्न की जिसे ‘लखनऊ घराना’ के नाम से जाना जाता है।

मोदु खां और बख्शू खां ने यहां की स्थाेनीय कलाओं के कलाकारों के साथ सहयोग किया और कथक और पखावज के साथ तबला वादन की एक अनूठी शैली बनाई, इस शैली को अब ‘ख़ुला बाज’ या ‘हथेली का बाज’ कहा जा रहा है। वर्तमान में, ‘गत’ और ‘परन’ दो प्रकार की रचनाएँ हैं जो लखनऊ घराने में बहुत सामान्य हैं। हिंदुस्तानी संगीत के विश्वप्रसिद्ध अध्येता जेम्स किपेन ने अपनी किताब ‘दि तबला ऑफ़ लखनऊ: अ कल्चरल ऍनालिसिस ऑफ़ अ म्यूज़िकल ट्रेडिशन’ (The Tabla of Lucknow: A Cultural Analysis of a Musical Tradition) में लखनऊ के घराने के बारे में कई तथ्यों को उजागर किया है। इस पुस्तक के माध्यfम से उन्होंने लखनऊ की तबला-वादन परंपरा के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने का प्रयत्न किया है। जेम्स किपेन ने 18वीं सदी के उत्तरार्ध से लेकर वर्तमान तक लखनऊ के सामाजिक-संगीत के विकास पर विचार किया है और लखनऊ से जुड़े वंशानुगत संगीतकारों (जो तबले के विशेषज्ञ हैं) के जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया है।

Table ki dhaap pr jhume puri duniya

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here