नई दिल्ली। राष्ट्रवाद के प्रखर कवि रामधारी सिंह दिनकर जी की जयंती के अवसर पर आयोजित व्याख्यानमाला और कवि सम्मेलन के दौरान हिन्दी भाषा अभियानी और द हिन्दी के प्रबंध संपादक श्री तरुण शर्मा को सम्मानित किया गया। राजधानी के हिन्दी भवन में आयोजित इस व्याख्यानमाला और कवि सम्मेलन का आयोजन स्वैच्छिक स्वयंसेवी संस्था सुगति सोपान और एमिलियोर फाउंडेशन ने किया था। सुगति सोपान की अध्यक्ष और कार्यक्रम की संयोजिका कुमकुम झा ने तरुण शर्मा को सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में हिन्दी भाषा अभियानी तरुण शर्मा ने हिन्दी को अपने आचरण और व्यवहार में लाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से चाय की एक पत्ती दूध के अधिकतम गुण को समाप्त कर देती है, उसी प्रकार हिन्दी बोलते समय यदि आप किसी अन्य भाषा और बोली का प्रयोग करते हैं, तो खटकता है। आज स्थिति ऐसी हो गई है कि हिन्दी बोलते समय अधिकतर लोग अंग्रेजी के शब्दों का बेधड़क प्रयोग करते हैं। इसलिए बेहतर है कि हम अपनी भाषा के प्रति सम्मान रखें। हम जैसा सोचें, वैसा ही आचरण करें। जब भी हिन्दी में लिखे और बोलें, कोशिश करें कि हिन्दी का ही प्रयोग करें।
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