Mahashivratri special news: जी हाँ इस बार महाशिवरात्रि के दिन काशीपुराधिपति को अयोध्या की हल्दी लगाई जाएगी । अयोध्या के रामायणी पं. वैद्यनाथ पांडेय के पुत्र पं. राघवेश पांडेय ने सोमवार को हल्दी भेजी। आपको बता दें की 350 वर्षों से चली आ रही विवाह की परंपरा का यह पहला मौका होगा जब बाबा विश्वनाथ को अयोध्या से भेजी गई हल्दी के साथ माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह का उत्सव शुरू होना है।
आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ की हल्दी की रस्म के लिए तीन सौ पचास सालों में यह पहला मैका है जब अयोध्या से हल्दी आई है। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर होने वाले विवाह के लोकाचार में यही हल्दी बाबा को लगाई जाएगी। यह पहला अवसर है जब अयोध्या से बाबा के लिए हल्दी भेजी गई है। इससे पहले रंगभरी एकादशी के दिन गौरा के गौना के अवसर पर मथुरा की अबीर पिछले वर्ष भेजी गई थी। पं. राघवेश पांडेय कहते हैं – ” यह मेरा परम सौभाग्य है कि काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के विवाह के लिए मुझे अयोध्या से हल्दी भेजने का अवसर मिला है। अयोध्या में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जिस परंपरा की शुरुआत हुई है इसका निर्वाह मैं आजीवन करूंगा। मेरी कोशिश होगी कि अगले वर्ष से मैं स्वयं बाबा के लिए हल्दी लेकर काशी आऊं।”
आपको बता दें कि बाबा विश्वनाथ को हल्दी लगने के साथ ही शिव-पार्वती विवाह के उत्सव आरंभ हो जाएंगे। फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी पर आठ मार्च को महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती विवाह होगा। महंत आवास पर विवाह उत्सव छह मार्च से शुरू हो जाएगा। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा के रजत विग्रह के समक्ष हल्दी तेल का लोकाचार पूर्ण किया जाएगा और संध्या बेला में भगवान शिव को हल्दी लगाई जाएगी।
शिवाजंली के संयोजक संजीव रत्न मिश्र बताते है कि शिवांजलि में मथुरा से आमंत्रित नृत्य मंजरी दास कथक नृत्य का प्रदर्शन करेंगी। साथ ही कई स्थानीय कलाकार भजनों की प्रस्तुति भी देंगे। इसके साथ शिवांजली के ट्रस्टी व अंक शास्त्री पं. वाचस्पति तिवारी कहती हैं कि – “महाशिवरात्रि की महानिशा के चारों प्रहर महंत परिवार की ओर से की जाने वाली बाबा विश्वनाथ की आरती के विधान पूर्ण करने की तैयारी कर ली गई है। महंत परिवार के सदस्यों के मार्गदर्शन में बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के विवाह के उत्सव पूरे किए जाएंगे।”
सोमवार नटराज शिव के दरबार में महाशिवरात्रि महोत्सव के सुरों की रसगंगा प्रवाहमान हुई। जहाँ तीन दिवसीय आयोजन की पहली संध्या में गायन, वादन और नृत्य की त्रिवेणी से कलाकारों ने बाबा विश्वनाथ को सुरों की श्रद्धा अर्पित की गई।खबरों के अनुसार श्री काशी विश्वनाथ धाम के मंदिर चौक पर सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत हुई, जहां डॉ. प्रियंबदा तिवारी पोडयाल समूह ने गणेश वंदना से शिव संध्या का श्रीगणेश किया। जिसके बाद शिव पंचाक्षर स्तोत्र की प्रस्तुति हुई। ठुमरी गायिका सुचरिता दास गुप्ता ने महादेव को ठुमरी समर्पित की। हारमोनियम पर विनोद और पंडित ललित ने संगत की।
इसके बाद युवा बांसुरी वादक डॉ. हरिप्रसाद ने बांसुरी वादन किया। जहां उन्होंने राग मधुवंती मध्य लय, द्रुत तीन ताल की प्रस्तुतियां दी। साथ ही वायलिन पर नंदिनी, तबले पर डॉ. अमित और पखावज पर आदित्य ने संगत की। कार्यक्रम की शुरुआत आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलन से की। इस दौरान विधायक सुशील सिंह, सीईओ विश्वभूषण मिश्र का उपस्थिति ने भी आयोजन को सफल बनाने में अपनी भूमिका दी।
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